उपायुक्त मेघा भारद्वाज मातृत्व सेवा व देश सेवा एक साथ निभा रही ,बखूबी

रांची/कोडरमा । हर साल मई के दूसरे रविवार को दुनियाभर में मदर्स डे मनाया जाता है । इस दिन मां को सम्मान देने के लिए विश्व स्तर पर मदर्स डे मनाया जाता है । इस साल मदर्स डे 12 मई यानी रविवार को मनाया जा रहा है । इस दिन बच्चे अपनी मां को उपहार, कार्ड और अन्य अच्छी चीजें देकर उनके प्रति अपना प्यार और आभार व्यक्त करते हैं । मदर्स डे उन तमाम माताओ का दिन है, जो अपने बच्चों के बेहतर परवरिश के लिए सबकुछ न्योछावर कर देती है। आज हम आपको ऐसी माँ की कहानी बताने जा रहे है । माँओं के समर्पित इस खास दिन पर आईएएस मेघा भारद्वाज के बारे में सबकों जानना चाहिए । इस महिला अधिकारी ने देश सेवा के साथ मातृत्व सेवा का शानदार उदाहरण दी है । उनके संघर्ष पर एक नजर डालते है…….

कोडरमा जिले की उपायुक्त मेघा भारद्वाज अपनी 16 महीने की बेटी के परवरिश के साथ-साथ कोडरमा को विकास के पथ पर आगे ले जाने में लगातार जुटी है।

जब भी कभी ठोकर लगे, तो हमें तुरंत याद आती है मां……
लब्जों में जिसे बयां नहीं किया जा सके ऐसी होती है मां, भगवान भी जिसकी ममता के आगे झुक जाते हैं, उसे कहते है मां। शब्द भले ही छोटा लगे ,लेकिन उसमे संसार बसा है। आज मदर्स डे है, जिन मां ने आज घर पर रहकर पुरे दिन बच्चें की परवरिश में बिताया, तो कुछ माँ ने अपनी जिम्मेदारियों के साथ बच्चे की परवरिश की, उन सभी माँ को सलाम हैं ।

बिहार की बेटी 2016 बैच की आईएएस अधिकारी मेघा भारद्वाज कोडरमा के 24 वें उपायुक्त के रूप जिले को विकास के पथ पर आगे ले जाने के साथ-साथ अपनी 16 महीने की बेटी सिया की बखुबी परवरिश कर रही है। मेघा भारद्वाज के पति आईएएस लोकेश मिश्र वर्तमान में खुंटी के डीसी है। मेघा भारद्वाज हजारीबाग एसडीओ, पलामु डीडीसी और संयुक्त सचिव के पद पर रहने के बाद वर्तमान में कोडरमा जिले की बागडोर संभाल रही है। उन्होंने देश की तमाम मांओं को मदर्स डे की शूभाकामनाएं देते हुए कहा कि बेटी के जन्म के बाद उन्हें माँ और माँ के ममता को करीब से समझने का अवसर मिला।

माँ की ममता की छांव में बेटी को खिलाना, उसे लोरी गाकर सुलाना, उसके साथ खेलना दिनभर की सारी थकान को मिटा देता है। डीसी मेघा भारद्वाज ने बताया कि पिछले 6 महीने से जब भी वे अपने सरकारी आवास से बाहर रहती है, अपनी सिया से मिलने का उन्हें इंतेजार रहता है। बेटी से मिलने की चाहत में उन्हें कम समय में ज्यादा से ज्यादा काम निबटाने की एक ऊर्जा मिलती है, जो एक साकारात्मक पहलु है। उन्होंने बताया कि फिलहाल चुनावी माहौल में कामकाज ज्यादा है, ऐसे में समय नहीं मिलने की स्थिति में वे अपनी बेटी सिया को अपने कार्यालय में ही बुलवा लेती है और यहीं उसके साथ थोड़ा समय बिताकर फिर से अपने कामों में जुट जाती हैं ।

उपायुक्त मेघा भारद्वाज की गैर मौजूदगी में उनके साथ उनके आवास में रहने वाली सहायक मुन्नी बेटी सिया की देखभाल करती है। घर से निकलते वक्त पुरे विश्वास के साथ वे सहायक मुन्नी के भरोसे अपनी बेटी सिया को सौंपकर निकलती है । मुन्नी सिया का पूरे दिन अच्छे से ख्याल भी रखती है। मुन्नी ने बताया कि मैडम को समय तो कम मिलता है, लेकिन जितना समय भी वे अपने कामकाज से निकाल पाती है, पूरा समय अपने बच्चों के साथ बिताती है।

मां की ममता और माँ का अपने बच्चों के प्रति समर्पण को शब्दों में तो बयां नहीं किया जा सकता, लेकिन जिस तरह से पूरे जिले की बागडोर संभालते हुए उपायुक्त मेघा भारद्वाज अपनी बेटी सिया की देखभाल करती है। वह भी मां का एक अलग स्वरूप और समर्पण नजर आता है।

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