आगामी चतरा लोकसभा चुनाव में छाया स्थानीय उम्मीदवार” का मुद्दा

चतरा जिला आज भी पिछड़ा जिला के श्रेणी में , समुचित बुनियादी सुविधाओं से आज भी कई गांव वंचित

राष्ट्रीय शान

चतरा । चतरा लोकसभा सीट का अपना एक गजब इतिहास है। इस लोकसभा सीट से अब तक स्थानीय सांसद एक भी नहीं बने । अगामी लोकसभा आम चुनाव 2024 की प्रशासनिक तैयारियां जोर शोर से शुरू है । मतदाता सूची पुनरीक्षण का काम जारी है । वही दूसरी ओर राजनीतिक दलों के संभावित उम्मीदवारों की सूची के साथ बाहरी उम्मीदवारों का भी लंबी सूची बनती दिख रही है । इस सूची में स्थानीय उम्मीदवारों के रूप में कुछ लोकप्रिय नाम शामिल हैं। जिनका चरित्र जनता के बीच सामाजिक और राजनीतिक रूप से काफी लोकप्रिय माना जाता है। हालांकि जनता इस बार काफी सोच विचार कर ईमानदार , साफ छवि , देशहित , राज्यहित और समाज हित मे समर्पित उम्मीदवार के पक्ष में ही अपना बहुमूल्य मत डालेंगे ।

 चतरा लोकसभा क्षेत्र से लगातार दो बार चुनाव जीतने वाले सांसदों में से वर्तमान सांसद सुनील सिंह 2024 के चुनाव में बीजेपी की हैट्रिक बनाने के लिए अपनी किस्मत आजमाने को लेकर आश्वस्त दिख रहे हैं । वहीं चतरा के पूर्व सांसद धीरेंद्र अग्रवाल , नागमणि  2024 के लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने के लिए क्षेत्र में सक्रियता बढ़ा दी है । धीरेंद्र अग्रवाल 1996 में भारतीय जनता पार्टी और 2004 राष्ट्रीय जनता दल से जीत दर्ज किया था । 1999: नागमणि कुशवाहा राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवार के रूप में चतरा से सांसद रहे हैं।  इंदर सिंह नामधारी 2009 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर सांसद चुने गये थे । 

1957 से अब तक कांग्रेस पार्टी से क्रमशः तीन सांसद चुने गए हैं 1971: शंकर दयाल सिंह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, 1980: रणजीत सिंह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1984: योगेश्वर प्रसाद योगेश, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस। 1977 में जनता पार्टी के उम्मीदवार सुखदेव वर्मा चतरा लोकसभा के सांसद चुने गये । इसके बाद दो लोकसभा चुनावों में जनता दल के उम्मीदवार ने जीत हासिल की, जिसमें 1989 और 1991 में चतरा लोकसभा से जनता दल के उम्मीदवार के तौर पर उपेन्द्र नाथ वर्मा चुने गये । 1996 से अब तक चतरा लोकसभा के मतदाताओं द्वारा भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को चार बार सांसद चुना गया है।

       वैसे तो चतरा लोकसभा के सदस्य में 1957: विजया राजे , छोटा नागपुर संथाल परगना जनता पार्टी, 1962: विजया राजे , स्वतंत्र और 1967: वी.राजे ( विजया राजे ), स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज कर चुके हैं। 

  16 सांसद जीत दर्ज कर संसद गए पर किसी ने भी चतरा जिले में पैसेंजर रेलवे लाईन नहीं ला पाया!सबसे चौकाने वाली बात यह है कि कोयला ढुलाई के लिए रेलवे लाईन लाया गया है । इस क्षेत्र में पांच कोल परियोजना संचालित है । इन परियोजनाओं में रेलवे लाईन काफी कम समय मे लाया गया और कुछ परियोजना में रेलवे लाईन का कार्य तेजी से चल रहा है पर चतरा जिला मुख्यालय में अब तक रेलवे लाईन नहीं आया है । रेलवे लाइन की तो दूर की बात आज भी कई ऐसे गाँव है जहां शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी सड़क एंव अन्य बुनियादी समस्याओं से त्रस्त है। चतरा को हर कोई चारागाह समझा है । विकास के नाम पर करोड़ो अरबों रुपये खर्च किये जाने के बावजूद आज भी पिछड़ा जिला के रूप में जाना जाता है । आम मतदाताओं ने किसी को अपनी सेवा के लिए आवेदन नहीं दिया है। लेकिन चतरा लोकसभा क्षेत्र के बहार के लोग चुनाव को देखकर सेवा के लिए ब्याकुल नज़र आ रहे हैं।कुछ ऐसे भी उम्मीदवार है जो सिर्फ चतरा लोकसभा क्षेत्र से जीत दर्ज करने के पश्चात खनिज सम्पदाओं का दोहन कर अपनी झोली भरने में लगे रहेंगे । तो कई ऐसे भी उम्मीदवार है जो जानते है कि यही एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ बाहरी उम्मीदवारों को जनता सेवा का मौका दे देती है ।

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