देव से है भगवान सूर्यदेव का गहरा नाता, आज रथयात्रा के पश्चात होगा सूर्य महोत्सव का शुभारंभ

राष्ट्रीय शान

देव, औरंगाबाद। बिहार राज्य के औरंगाबाद जिले से मात्र 18 किलोमीटर दूर पूर्व- दक्षिण कोण पर स्थित देव सूर्य मंदिर की प्राचीनता सर्वविदित है। 100 फीट की ऊंचाई लिए यह सूर्य मंदिर चकोर अलंकृत पाषाण खंडों को लौह के कील से जोड़कर बनाया गया है। यह मंदिर पश्चिमाभिमुख है, जो नागर शैली में स्थापत्य कला का अद्भुत आकृति प्रस्तुत करता है। मंदिर के मुख्य गर्भ गृह के सामने एकाश्म स्तंभ मौजूद है जिसे प्रार्थना स्थल के रूप में जाना जाता है। हालांकि यह स्तंभ अलंकृत नहीं है, लेकिन इसका शीर्ष एवं आधार मजबूत व ख़ूबसूरत है। मंडप के छत के मध्य सतदल कमल की आकृति बनी हुई है। इसी गर्भगृह में त्रिकालदर्शी भगवान सूर्य अपने तीनों स्वरूप ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश्वर के रूप में मौजूद हैं।

मंदिर के बाहर एक काली विखंडित मूर्ति है, जो संभवत सूर्य की प्राचीन मूर्ति है, जिसे आज लोग दुख हरनी माता के नाम से पुकारते हैं। पुरातात्विक दृष्टिकोण और मेजर कीटो के विवरण के अनुसार देव सूर्य मंदिर का अभिलेख संवत 1605 अर्थात 1548 ईस्वी की है, जबकि अन्य विवरण के अनुसार विक्रम संवत 1293 अर्थात 1236 ईसवी की है। जबकि मंदिर पर लगे शिलालेख इसे त्रेतायुग में निर्मित बताता है।

देव सूर्य मंदिर के निर्माण काल के संबंध में अनेक प्राचीन कथाएं एवं किवदंतियां मौजूद है। पर यहां सब पर आस्था भारी है। मंदिर के प्रवेशद्वार और सिरदल बहुत खूबसूरत, भव्य, कलात्मक और आकर्षक है। सूर्य मंदिर के मध्य भाग में कई देव मूर्तियां उत्कीर्ण है तथा अत्यंत विशाल और प्रभावशाली ढंग से एक शेर निर्मित है। माना जाता है कि देव भगवान सूर्य की जन्मभूमि है। देव से ही विश्वप्रसिद्ध छठ पूजा की शुरुआत हुई थी। देव सूर्य मंदिर में भगवान सूर्यदेव अपने तीनों स्वरूप ब्रह्मा, विष्णु एवम शिव के रूप में विराजमान है। उनका दर्शन मात्र से व्यक्ति के जीवन में तमाम खुशियां मिलने लगती है, बशर्ते व्यक्ति आस्थावान हो।

बता दें कि देव में प्रतिवर्ष कार्तिक मास और चैत्र मास को षष्ठी और सप्तमी को विशाल छठ पर्व का मेला लगता है। देव में पूजा उपासना करना परम सिद्धि दायक माना जाता है। छठ महापर्व में श्रद्धा, भक्ति, समर्पण तथा सात्विकता देखते बनती है। मौसमी फलों से समर्पित छठ पर्व भगवान सूर्य और छठी माता को समर्पित किया जाता है। यहां मुगल सम्राट औरंगजेब जो मंदिर को तोड़ने के लिए आया था, सूर्य की अपार कृपा से इस मंदिर को तोड़ नहीं पाया तथा उसके चुनौती से रात्रि में मंदिर का द्वार पूरब से पश्चिम की ओर हो गया। इससे वह अधिक प्रभावित हुआ था और यहां भगवान सूर्य का अभिवादन कर लौट गया था। वह देव में भगवान सूर्य की शक्ति को अपनी आंखों से देखा था और इसे भगवान सूर्य की चमत्कार माना था।बताते हैं कि वर्ष 1677 से 1707 ईसवी तक के अपने शासनकाल में औरंगजेब लगातार भगवान सूर्य को प्रतिदिन नमन किया करता था। वह अपनी राज्यकोष से आर्थिक रुप से कमजोर छठव्रती की पूजा हेतु सामग्री भी दान दिया करता था। माघ माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को सूर्य सप्तमी, अचला सप्तमी, रथ आरोग्य सप्तमी इत्यादि नामों से जाना जाता है।

शास्त्रों में सूर्य को आरोग्यदायक कहा गया है। इनकी उपासना से रोग मुक्ति का उपाय बताया जाता है। माघ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी से संबंधित कथा का उल्लेख ग्रंथों में मिलता है। कथा के अनुसार श्रीकृष्ण के पुत्र शाम्ब को अपने शारीरिक बल और सौष्ठव पर बहुत अधिक अभिमान हो गया था। अपने इसी अभिमान के मद में उन्होंने दुर्वसा ऋषि का अपमान कर दिया और शाम्ब की धृष्ठता को देखकर उन्हों ने शाम्ब को कुष्ठ होने का श्राप दे दिया।

तब भगवान श्रीकृष्ण ने शाम्ब को सूर्य भगवान की उपासना करने के लिए कहा। शाम्ब ने आज्ञा मानकर सूर्य भगवान की आराधना करनी आरम्भ कर दी जिसके फलस्वरूप उन्हें अपने कष्ट से मुक्ति प्राप्त हो सकी। इसलिए इस सप्तमी के दिन सूर्य भगवान की आराधना जो श्रद्धालु विधिवत तरीके से करते हैं उन्हें आरोग्य, पुत्र और धन की प्राप्ति होती है।

सूर्य को प्राचीन ग्रंथों में आरोग्यकारक माना गया है। इस दिन श्रद्धालुओं द्वारा भगवान सूर्य का व्रत रखा जाता है। सूर्य की रोशनी के बिना संसार में कुछ भी नहीं होगा। इस सप्तमी को जो भी सूर्य देव की उपासना तथा व्रत करते हैं उनके सभी रोग ठीक हो जाते हैं। वर्तमान समय में भी सूर्य चिकित्सा का उपयोग आयुर्वेदिक और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में किया जाता है।

शारीरिक कमजोरी, हड्डियों की कमजोरी या जोडो़ में दर्द जैसी परेशानियों में भगवान सूर्य की आराधना करने से रोग से मुक्ति मिलने की संभावना बनती है। सूर्य की ओर मुख करके सूर्य स्तुति करने से शारीरिक चर्मरोग आदि नष्ट हो जाते हैं। पुत्र प्राप्ति के लिए भी इस व्रत का महत्व माना गया है। इस व्रत को श्रद्धा तथा विश्वास से रखने पर पिता-पुत्र में प्रेम बना रहता है।

इस दिन किसी जलाशय, नदी, तालाब, नहर में सूर्योदय से पूर्व स्नान करना चाहिए। स्नान करने के बाद उगते हुए सूर्य की आराधना करनी चाहिए। भगवान सूर्य को जलाशय, नदी अथवा नहर के समीप खडे़ होकर भगवान सूर्य को अर्ध्य देना चाहिए। दीप दान विशेष महत्व रखता है। इसके अतिरिक्त कपूर, धूप, लाल पुष्प इत्यादि से भगवान सूर्य का पूजन करना चाहिए। इस दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार गरीबों तथा ब्राह्मणों को दान देना चाहिए।

एक अन्य मत से इस दिन प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठकर बहते हुए जल में स्नान करना चाहिए. स्नान करते समय अपने सिर पर बदर वृक्ष और अर्क पौधे की सात-सात पत्तियाँ रखकर स्नान करना चाहिए. स्नान करने के पश्चात सात प्रकार के फलों, चावल, तिल, दूर्वा, चंदन आदि को जल में मिलाकर उगते हुए भगवान सूर्य को जल देना चाहिए. “ऊँ घृणि सूर्याय नम:” अथवा “ऊँ सूर्याय नम:” सूर्य मंत्र का जाप करना चाहिए. इसके अतिरिक्त आदित्य हृदय स्तोत्र” का पाठ करने से शुभ फलों की प्राप्ति संभव होती है।

देव में आज रथयात्रा के पश्चात सूर्य महोत्सव का शुभारंभ होगा। सूर्य महोत्सव का भव्य उद्घाटन सत्र दोपहर दो बजे 5 बजे चलेगा। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पर्यटन मंत्री डॉ प्रेम कुमार,अति विशिष्ट अतिथि सांसद सुशील कुमार सिंह ,सांसद महाबली सिंह ,विशिष्ट अतिथि विधान परिषद सदस्य अवधेश नारायण सिंह, विधान पार्षद सदस्य जीवन कुमार,विधान पार्षद सदस्य दिलीप कुमार सिंह, कुटुंबा विधायक राजेश कुमार , सदर विधायक आनंद शंकर सिंह सहित अन्य होंगे। 5 बजे के बाद बिहार गौरव गान की प्रस्तुति होगी। 5:30 से प्रसिद्ध गायिका अपूर्व प्रियदर्शी का संगीतमय कार्यक्रम होगा। वहीं 7 बजे से ख्याति प्राप्त मुख्य कलाकार मशहूर गायक कुणाल गांजावाला अपनी टीम के साथ प्रस्तुति देंगे । जो कि देर रात तक चलेगा।

वहीं 17 फरवरी को जिला स्तरीय क्विज प्रतियोगिता का आयोजन मुख्य मंच पर सुबह 10 बजे से होगा। जिला स्तरीय पेंटिंग ,रंगोली, प्रतियोगिता का आयोजन दोपहर 11 बजे से रानीपोखर के समीप सरस मेला मैदान देव में ही होगा। जिला स्तरीय स्लो साइकिल रेस ,फुटबॉल, कबड्डी, खो खो प्रतियोगिता का आयोजन राजा जगन्नाथ उच्च विद्यालय के खेल मैदान में होगा। जिला एवं स्थानीय देव से चयनित कलाकार का कार्यक्रम दोपहर 12 बजे से मुख्य मंच पर होगा ।7 बजे से प्रसिद्ध पार्श्व गायिका श्रद्धा पंडित और उनकी टीम का कार्यक्रम होगा ।

18 फरवरी को सरस मेला मैदान में जिला स्तरीय मेहंदी प्रतियोगिता 11 बजे से होगा । जिला स्तरीय निबंध प्रतियोगिता राजा जगन्नाथ उच्च विद्यालय के खेल मैदान में दोपहर 11 बजे से होगा। वहीं राजा जगन्नाथ उच्च विद्यालय में कुश्ती का आयोजन दोपहर 11 बजे से होगा जो शाम चार बजे तक चलेगा। स्थानीय कलाकारों का कार्यक्रम मुख्य मंच पर दोपहर 12 बजे से 5 बजे तक होगा। 5 बजे से 6 बजे तक विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा में उत्तीर्ण कलाकारों का जिला प्रशासन के द्वारा सम्मान समारोह होगा। वहीं छह बजे से 7 बजे तक धन्यवाद समापन कार्यक्रम होगा। वहीं 19 फरवरी को पर्यटन विकास केंद्र देव द्वारा 11 जोड़ी वर वधुओ का निःशुल्क सामूहिक विवाह का भव्य आयोजन किया जाएगा। दिन भर भक्ति की सरिता में डूबे रहे नगर वासी रात में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आनंद लेंगे। महोत्सव का समापन रविवार को होगा।

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