उपायुक्त के द्वारा करवाई के लिए बैठक के दौरान ही टास्क फोर्स की टीम भेजने पर एक अल्ट्रासाउन्ड क्लीनिक को किया गया सील , जबकि आधा दर्जन से अधिक जिले में है संचालित ।।
राष्ट्रीय शान
चतरा । 5 सितम्बर 2023 को स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की अध्यक्षता में आहुत राज्य पर्यवेक्षण बोर्ड की बैठक में दिये गए निर्देश का अनुपालन सुनिश्चित करने के बाद सभी जिलों में अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए सिविल सर्जन ने सम्बंधित अधिकारी को पत्र के आलोक में अनुपालन कराने का निर्देश दिया गया की स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की अध्यक्षता में आहुत राज्य पर्यवेक्षण बोर्ड की बैठक में दिये गए निदेश का अनुपालन विन्दुवार करना सुनिश्चित करेगें।
- PCPNDT अधिनियम के अन्तर्गत चतरा जिला में संचालित सभी अल्ट्रासाउण्ड क्लिनिक में 02 बोर्ड लगाना अनिवार्य है।
– बोर्ड में पंजीकृत अल्ट्रासाउण्ड केन्द्रों के बाहर चिकित्सक का नाम, मोबाईल नं०, ई-मेल एवं जाँच का समय अंकित हो। (Prototype की छाया प्रति संलग्न) क्लिनिक के बाहर PC & PNDT अधिनियम से संबंधित वैधानिक चेतावनी व सूचना से संबंधित Prototype वाला बोर्ड। (Prototype की छाया प्रति संलग्न)
इसे अतिआवश्यक समझा जाय। इसके बावजूद सिविल सर्जन जगदीश प्रसाद के कानों ने जूं तक नहीं रेंग रहा है । मंत्री से लेकर राज्य के वरीय अधिकारी के आदेशों को जेब में लेकर घूमते फिर रहे है । इन्हें न तो मंत्री जी के आदेश का भय है और ना ही उच्च अधिकारियों का । जब से चतरा में योगदान दिए है अप्रत्यक्ष रूप से प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के साथ मिलीभगत कर सिर्फ अवैध नर्सिंग होम , अल्ट्रासाउंड , जांच घर आदि स्वास्थ्य संबंधी व्यवसायों को नियम विरुद्ध बढ़ावा देने में लगे हुए है ।
हालांकि एक अल्ट्रासाउंड को उपायुक्त के आदेश के बाद सील किया गया है । जबकि आधा दर्जन से अधिक अल्ट्रासाउंड क्लीनिक बगैर किसी रेडियोलॉजिस्ट/सोनोग्राफी ( डिग्री ) डॉक्टर का अल्ट्रासाउंड बेधकड़ किया जा रहा है । यहां तक कि कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र अल्ट्रासाउंड जैसे महत्वपूर्ण कार्य कर रहे है । सूत्रों की माने तो लिंग परीक्षण का अपराध 5000 से लेकर 10000 रुपये की मोटी रकम लेकर बखूबी कर रहे है । उपायुक्त के द्वारा स्वास्थ्य व्यवस्था में लगातार सुधार लाने , अवैध नर्सिंग होम के विरुद्ध करवाई करने का सख्त निर्देश दिए जाने तथा समय समय पर बैठक कर समीक्षा रिपोर्ट के दौरान कार्यो में सुधार लाने की हिदायत देने के बावजूद सिविल सर्जन से लेकर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी इतने ढीठ है कि इन्हें मंत्री से लेकर उच्च अधिकारियों के आदेशों व निर्देशों को पालन करने का डर नहीं है । बल्कि उनके आदेशों के विपरीत काम करने में दिलचस्पी दिखाते आ रहे है ।
बैठक में यह लिया गया है निर्णय
प्रस्ताव संख्या 01 : – उपायुक्त-सह-जिला सनुचित प्राधिकार द्वारा निर्देशित किया गया कि चतरा जिला अंतर्गत संचालित अल्ट्रा साउण्ड क्लिनिक का मासिक प्रतिवेदन कार्यालय में उपलब्ध करायेगें।
(अनुपालन : सभी अल्ट्रा साउण्ड क्लिनिक)
संख्या 02 : उपायुक्त-सह-जिला समुचित प्राधिकार द्वारा निर्देशित किया गया कि चतरा जिला अंतर्गत संचालित अल्ट्रा साउण्ड क्लिनिक में सी०सी०टी०वी० कैमरा लगाने का निदेश दिया गया, ताकि चिकित्सक का आने-जाने का ब्यौरा प्राप्त किया जा सके।
(अनुपालन : सभी अल्ट्रा साउण्ड क्लिनिक)
प्रस्ताव संख्या 03 :
उपायुक्त-सह-जिला समुचित प्राधिकार द्वारा निर्देशित किया गया कि चतरा जिला अंतर्गत संचालित अल्ट्रा साउण्ड क्लिनिक में अल्ट्रासोनोग्राफी का कार्य क्लिनिक कार्यरत चिकित्सक ही करेगें, न ही कम्प्यूटर ऑपरेटर एवं अन्य स्टाफ नहीं करेंगे।
(अनुपालन : सभी अल्ट्रा साउण्ड क्लिनिक)
प्रस्ताव संख्या 04
उपायुक्त-सह-जिला समुचित प्राधिकार द्वारा निर्देशित किया गया कि चतरा जिला अंतर्गत संचालित अल्ट्रा साउण्ड क्लिनिक का निरीक्षण टीम बनाकरনা सुनिश्चित करेगें ।
(अनुपालन : सिविल सर्जन, चतरा।)
सिविल सर्जन कार्यालय, चतरा को 08 नये अल्ट्रासाउण्ड का आवेदन उपलध कराया गया है। (1. संजीवनी अल्ट्रासाउण्ड, चतरा 2 एस०एम०एस० अल्ट्रासाउण्ड इटखोरी, 3. सौभया डायगनोस्टिक सेंटर, ईटखोरी 4 सत्यम अल्ट्रासाउण्ड जेल रोड, चतरा 5. एस०जी०एम० अल्ट्रासाउण्ड सेंटर, घोरीघाट, प्रतापपुर एवं यूपीन्जय साहू, बभने, थाना- प्रतापपुर, वतरा।
(अनुपालन: सिविल सर्जन।)
हेतु समर्पित आवेदन पर सभी कागजातों का सिविल सर्जन चतरा के द्वारा अवलोकन किय गया एवं बैठक में समिति के सदस्यों द्वारा निर्णय लिया गया कि नये अल्ट्रासाउण्ड निबंधन हेतु संचिका उपायुक्त महोदय चतरा को अग्रसारिता किया जा सकता है। उपायुक्त के पास 8 नये अल्ट्रासाउण्ड का आवेदन अग्रसारित किये जाने के बाद उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के कार्यशैली को ध्यान में रखते हुए लौटा दिया है । आश्चर्य की बात यह है कि सिविल सर्जन चतरा में योगदान देने के पश्चात नियम विरुद्ध कार्यो को बढ़ावा देने में लगे हुए है । जिन प्रस्तावों पर अमल कराना चाहिए उनपर अमल कराने के बजाय नियम विरुद्ध अल्ट्रासाउंड क्लीनिकों को संरक्षण दिया जा रहा है ।