वन विभाग की लापरवाही का नतीजा ,हिरण को कुत्तों ने बनाया अपना शिकार ।।

तेजी से जंगलों को उजाड़कर खेती लायक़ बना दिया गया सैकड़ो एकड़ वन भूमि , तमाशबीन बने है विभाग के अधिकारी ।।

प्रतापपुर रेंजर पर कई गम्भीर आरोप , बावजूद स्पष्टीकरण व जांच को ढाल बनाकर बचा रहे है उन्हे वरीय अधिकारी ।।

वन अधिनियमों का किया जा रहा तार-तार करवाई के नाम पर खानापूर्ति का खेल ।।

ग्रामीणों के प्रयास से हिरण की बची जान , वन विभाग को सौंपा गया हिरण , इलाज के बाद छोड़ा जाएगा हिरण को जंगल में ।।

चतरा ( संजीत मिश्रा )। झारखण्ड सरकार द्वारा हर साल जंगल में बड़ी संख्या में पौधारोपण करके पर्यावरण को बचाने का प्रयास किया जा रहा है । राज्य के मुखिया प्रतिदिन पौधारोपण कर पेड़-पौधा संरक्षण का संदेश दे रहे हैं । लेकिन चतरा में वन विभाग की उदासीनता के चलते जंगल में मौजूद पेड़ों की अवैध कटाई धड़ल्ले से हो रही है । लकड़ी माफिया लगातार जंगल में पेड़ों की कटाई करके पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं । वही दूसरी ओर भू-माफिया सैकड़ो एकड़ वन भूमि पर कब्जा कर घर , खेती लायक जमीन तथा मैदानी इलाका बना दिया है । इसकी वजह से जंगली जानवरो के लिए जंगल का दायरा सीमित होने के कारण वे गांव की तरफ जाने के लिए विवस है । इसका ताजा मामला प्रतापपुर उत्तरी वन प्रमण्डल से सामने आया है, जहां कुत्तों के झुंड ने हिरन को जख्मी कर दिया है । हालांकि इस वन क्षेत्र में यह पहला मामला नहीं है ।

सिमटते जंगल और चारा-पानी की कमी से वन्य प्राणी अब गांवों और शहरों में प्रवेश करने लगे है। गांव में हाथी,,जंगली सूअर, सियार के साथ हिरण का विचरण शुरू हो गया है। ग्रामीणों ने बताया कि जंगल से भटक कर गोमे गांव में हिरण पहुंच गया। जहां आवारा कुत्तों ने हिरण को घेर कर उस पर हमला बोल दिया। ग्रामीणों ने हिरन पर कुत्तों के द्वारा हमला देख दौड़े तथा कुत्तो को भगाकर हिरण की जान बचाई । हालांकि हिरण जख्मी हो गया है ।

यह मामला चतरा जिले के प्रतापपुर उत्तरी वन प्रमंडल स्थित गोमे गांव में बुधवार को देर शाम की है जहां एक हिरण जंगल से भटक कर गांव पहुंच गया। जिस पर आवारा कुत्तों के झुण्ड का नजर पड़ते ही हमला कर दिया। कुत्तों के हमला करते देख ग्रामीण मौके पर पहुंच गए और हिरण की जान बचाई । जान बचाने वालों में वन समिति के अध्यक्ष मंजीत कुमार, रवि कुमार, राकेश कुमार देव कुमार, मिथलेश पासवान, सुनील भारती, सुनील यादव, अशोक यादव सहित कई अन्य ग्रामीणों ने लाठी-डंडा लेकर हिरण को बचाने के लिए कुत्तों को भगाया । जिससे हिरण की जान तो बच गई, परंतु वह जख्मी हो गया है । घटना की सूचना वन विभाग को दी गई। सूचना मिलते ही वन क्षेत्र पदाधिकारी बीएन दास अपने वन रक्षी के साथ गांव पहुंचकर हिरण को अपने कब्जे में ले लिया है। ग्रामीणों ने हिरण पर कुत्तों के हमला किए जाने का यह दूसरा मामला बताया है। इससे पहले भी एक हिरन पर कुत्तों ने हमला बोला था। तब भी ग्रामीणों ने हिरन को बचाया था। जिसके बाद वन विभाग को हिरन सौंप दिया गया था। आपको बता दे कि प्रतापपुर वन क्षेत्र पदाधिकारी बी एन दास पर कई गम्भीर आरोप लगे है । इन गम्भीर आरोपों की जांच व स्पस्टीकरण मांगा गया है । आश्चर्य की बात यह है कि सत्यता पाए जाने के बावजूद अब तक वरीय अधिकारी संबंधित मामले में करवाई करना मुनासिब नहीं समझा । जबकि जिम्मेदार बड़े अधिकारी के भरोसे या उनकी तत्परता से ही वन विभाग में थोड़ी बहुत करवाई व जंगल बचाव अभियान का असर दिखती है । रेंजर बीएन दास की दिलेरी के बारे में डीएफओ राहुल मीना ने बताया कि प्रतापपुर वन क्षेत्र में एक व्यक्ति को राजस्व विभाग के कार्यक्षेत्र का काम रेंजर ने अपने मन से एनोसी देकर कर दिया है। विभाग इस मामले में स्पष्टीकरण के साथ-साथ जांच प्रक्रिया भी शुरू कर दी है । आपको बतादे कि इससे पहले भी रेंजर बीएन दास पर कई गंभीर आरोप में स्पष्टीकरण किया गया है। परंतु अबतक किसी प्रकार का कारवाई का ना होना अधिकारियों के कार्यशैली पर सवाल खड़ा हो रहा हैं। अब देखना यह है कि रेंजर बीएन दास पर वरीय अधिकारियों द्वारा कोई ठोस करवाई किया भी जाता है या लीपा पोती की प्रक्रिया कर दी जाती है ? हालांकि जंगल बचाने का मुहीम पत्रकार कलम से जारी रहेगा ।

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