जनप्रतिनिधियों और आम जनता की निष्क्रियता का नतीजा – हर दिन निगल रही जान, चतरा की यह ‘खूनी सड़क’ ।।

कोयला माफिया, दलाल और अफसरों की सांठगांठ से बनी ‘नरसंहार की सड़क’ – चतरा में चीखती हैं लाशें, लेकिन कोई सुनवाई नहीं ।।

चतरा (संजीत मिश्रा)। झारखंड के चतरा जिले में एक सड़क ऐसी है, जिसे अब स्थानीय लोग ‘खूनी सड़क’ के नाम से जानने लगे हैं। टंडवा से होकर गुजरने वाली यह कोयला परिवहन मार्ग अब तक हजारों जानें लील चुका है, लेकिन न तो प्रशासन जागा और न ही जनप्रतिनिधियों ने संवेदनशीलता दिखाई।

कभी टंडवा-सिमरिया की यह मुख्य सड़क शांत और सुरक्षित मानी जाती थी। दिन में कभी-कभार दो-चार बसें और कुछ वाहन गुजरते थे। लेकिन जब क्षेत्र में कोयला खदानें खुलीं और NTPC जैसी बड़ी कंपनी की स्थापना शुरू हुई, तो लोगों को उम्मीद जगी कि अब विकास, समृद्धि और साधनों की बहार आएगी। “परंतु हुआ उल्टा” वर्षों से टंडवा के लोग इस सड़क को सुरक्षित बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन उन्हें अब तक केवल आश्वासन ही मिले हैं। शाम होते ही कोयला लदे बेलगाम हाईवा ट्रकों की आवाजाही शुरू हो जाती है, जिससे लोग खौफ में जीने को मजबूर हैं।

हाईवा का कहर , हर दिन हादसे , राहगीरों का मौत का सफर…..

टंडवा, सिमरिया होते हुए कोयले की ढुलाई में लगी दर्जनों ट्रांसपोर्ट कम्पनियों के भारी वाहन ग्रामीणों के लिए मुसीबत बन चुके हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इन वाहनों की लापरवाही के कारण आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। हालात ऐसे हैं कि लोग घर से बाहर निकलने से पहले दस बार सोचते हैं । लेकिन जाएं तो जाएं कहां?? घरबार छोड़ना तो मुमकिन नहीं।

जनप्रतिनिधि और अधिकारी मौन, दलाल मालामाल…..

स्थानीय लोगों का आरोप है कि ट्रांसपोर्टिंग में लगी कंपनियों के दलाल और भ्रष्ट अधिकारी इस काले रास्ते को खून से लाल कर चुके हैं। नेताओं और अफसरों की चुप्पी सवालों के घेरे में है, जबकि वे इस त्रासदी को नजरअंदाज कर मालामाल हो रहे हैं।

टूटते परिवार, बिखरते सपने….

इस सड़क ने कई माताओं की कोख उजाड़ दी, बहुओं की मांग सूनी कर दी, बहनों से उनके भाई और बच्चों से उनके पिता छीन लिए। पीड़ित परिवारों के लिए यह केवल एक सड़क नहीं, बल्कि एक खौफनाक स्मृति बन चुकी है। जब वे दोबारा यहां से गुजरते हैं, तो रूह कांप उठती है। मानकों की अनदेखी कर दौड़ते हाईवा और ट्रकों के कारण टंडवा-सिमरिया मार्ग पर मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की तरफ से बार-बार केवल आश्वासन मिला है और कार्यान्वयन शून्य ।

इधर, हाईवा व ट्रकों की रफ्तार का कहर और उधर जहरीले फ्लाई ऐश तथा कोयले की ढुलाई ने वायु प्रदूषण को विकराल बना दिया है। सड़क किनारे बसे ग्रामीण बीमार पड़ रहे हैं तथा अकाल मृत्यु का शिकार हो रहे हैं, लेकिन प्रशासनिक चुप्पी जारी है। कंपनियां खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए कोयला और राख का ढुलाई कर रही हैं।

जांच रिपोर्ट ने खोली सच्चाई….

‘दिशा’ बैठक में अरविंद सिंह द्वारा उठाए गए मुद्दे के बाद टंडवा अंचल कार्यालय द्वारा भेजी गई जांच रिपोर्ट (पत्रांक 80, दिनांक 24/01/2025) ने चौंकाने वाले तथ्य सामने रखे। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि कोयला और फ्लाई ऐश ढुलाई के कारण भारी मात्रा में धूलकण उड़ रहे हैं, जिससे ग्रामीणों का जीवन नरक बन गया है।

अब सवाल यह है इस मौत की सड़क को रोकेगा कौन?प्रशासनिक निष्क्रियता, जनप्रतिनिधियों की चुप्पी और जनता की बेबसी ने इस मार्ग को नरसंहार का प्रतीक बना दिया है। आखिर कब तक चलता रहेगा यह खूनी खेल? क्या कोई होगा जो जवाबदेह ठहराया जाएगा?

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