सनातन संस्कृति को बचाने के लिए कान्यकुब्ज ज्योतिषि ब्राह्मण समाज ने किया पदयात्रा, डीसी को सौंपा ज्ञापन

शंखनाद के साथ आंदोलन शुरू, संस्कृत शिक्षा को अनिवार्य करने की मांग
परशुराम जयंती पर सरकारी अवकाश की मांग, चेतावनी दी कि मांगे पूरी नहीं हुईं तो मोरहाबादी मैदान तक होगा आंदोलन

चतरा: सनातन संस्कृति की रक्षा और सात सूत्रीय मांगों को लेकर कान्यकुब्ज ज्योतिषि ब्राह्मण समाज ने जिलाधिकारी रमेश घोलप को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन सौंपने से पहले समाज के सदस्यों ने शहर में पदयात्रा की और भारतीय संस्कृति की रक्षा का संकल्प लिया। सड़कों पर शंख बजाकर आंदोलन का शंखनाद किया गया। इस कार्यक्रम में सैकड़ों समाज के लोग शामिल हुए।

समाज के प्रतिनिधियों ने बताया कि संस्कृत भाषा, जिसे सभी भाषाओं की जननी माना जाता है, की शिक्षा तक आम लोगों की पहुंच सीमित है। संस्कृत पढ़ाई के लिए काशी, बनारस, अयोध्या जैसे स्थानों पर जाना पड़ता है, जो सभी के लिए संभव नहीं है। इसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में लोग संस्कृत शिक्षा से वंचित रह जाते हैं।

समाज की प्रमुख मांगें:

  1. राज्य के हर जिले में संस्कृत विद्यालय और महाविद्यालय स्थापित किए जाएं।
  2. संस्कृत शिक्षक और व्याख्याता की नियुक्ति सुनिश्चित की जाए।
  3. कर्मकांड की पढ़ाई की व्यवस्था हो।
  4. परशुराम जयंती पर सरकारी अवकाश घोषित किया जाए।
  5. सभी स्कूलों में गीता पाठ और भारतीय संस्कृति की पढ़ाई अनिवार्य हो।
  6. झारखंड में संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना हो।
  7. कर्मकांड और समाज भवन के लिए सरकारी जमीन उपलब्ध कराई जाए।

समाज के लोगों ने चेतावनी दी कि चतरा से आंदोलन का शंखनाद हो चुका है। यदि उनकी मांगे पूरी नहीं की गईं, तो पूरे झारखंड में आंदोलन तेज किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए मोरहाबादी मैदान तक आंदोलन किया जाएगा।

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