“प्रकृति और संस्कृति का अनूठा संगम है सरहूल” – सत्यानंद भोगता
चतरा। राज्य के पूर्व मंत्री सत्यानंद भोगता मंगलवार को चतरा सदर प्रखंड के ग्राम पकरिया स्थित सरना टोंगरी में आयोजित सरहूल पूजा में शामिल हुए। उनके आगमन पर सरहूल पूजा समिति के सदस्यों ने पारंपरिक तरीके से सरई फूल और अबीर-गुलाल लगाकर भव्य स्वागत किया।
सरहूल: प्रकृति और संस्कृति का संगम
श्री भोगता ने सभी उपस्थित जनों को प्रकृति पर्व सरहूल की बधाई और शुभकामनाएं दीं। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि सरहूल पर्व न केवल प्रकृति के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करता है, बल्कि सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण का भी अनुपम उदाहरण है। यह पर्व प्रकृति और संस्कृति के अनूठे संगम का प्रतीक है, जो हमें हमारी जड़ों से जोड़े रखता है।
सरहूल पर्व के अवसर पर उपायुक्त रमेश घोलप भी पारंपरिक परिधान में मौजूद रहे। उन्होंने अपने संबोधन में कलाकारों की सराहना की और पूर्वजों की परंपरा, सभ्यता और संस्कृति को संरक्षित एवं आगे बढ़ाने पर जोर दिया। साथ ही, उन्होंने चतरा के समस्त सरनावासियों को इस प्राकृतिक पर्व की शुभकामनाएं दीं।
गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति
इस अवसर पर जिला परिषद उपाध्यक्ष ब्रजकिशोर तिवारी, अपर समाहर्ता अरविंद कुमार, राजद जिला अध्यक्ष नवलकिशोर यादव, राजद प्रदेश अध्यक्ष (महिला प्रकोष्ठ) श्रीमती रश्मि प्रकाश, राजद जिला अध्यक्ष (महिला मोर्चा) शारदा देवी, मुखिया अनीता देवी, समाजसेवी महेश बांडो, अनिल मिंज समेत कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।