काश्मीर की वादियों से कम नहीं चतरा का तमासिन जलप्रपात

नव वर्ष पर उमड़ती है सैलानियों की भारी भीड़

राष्ट्रीय शान

चतरा : जिले के कानहाचट्टी प्रखंड में स्थित तमासीन जलप्रपात काश्मीर की वादियों से कम नहीं है। दो पहाड़ियों के बीच सैकड़ों फीट की ऊंचाई से गिरने वाले करीब एक दर्जन झरने की शोर और पानी के कटाव से पत्थरों पर बने खूबसूरत कलाकृतियां बरबस ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। यही कारण है कि नव वर्ष पर पिकनिक मनाने वाले सैलानियों की यहां काफी संख्या में भिड़ उमड़ती है। स्थानीय ग्रामीणों की मानें तो यहां प्राकृतिक का आनंद लेने के लिए चतरा और हजारीबाग जिले के अलावा झारखंड , बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश सहित अन्य प्रदेशों से भी लोग पहुंचते हैं। जिला मुख्यालय से करीब 32 किलोमीटर दूर है काण्हाचट्टी प्रखंड के तुलबुल पंचायत के प्रकृति की गोद में समाई है यह तमासीन जलप्रपात। कहा जाता है कि यहां कभी ऋषि मातंग का आश्रम रहा है। जहां दोनों घाटियों के बीच एक गुफा भी है। जिसमें तमो गुण की अधिष्ठात्री तामसी देवी का मंदिर है। इनकी पूजा-अर्चना को लेकर भी लोग दूर-दराज और अन्य प्रदेशों से यहां आते हैं।

ऐसी भी मान्यता है कि देवी भागवत में चतरा की प्रसिद्ध मां कौलेश्वरी और भद्रकाली के साथ-साथ तमासीन का भी वर्णन है। चारों तरफ से जंगल और पहाड़ों से घिरे इस सुन्दर प्राकृतिक स्थल पर आकर आगंतुक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। यही वजह है कि तमासीन जलप्रपात झारखंड और बिहार ही नहीं, बल्कि देश व विदेश के पर्यटकों के लिए भी स्वर्ग से कम नहीं है। यही कारण है कि यहां एक बार आने वाले पर्यटक बार-बार आने की इच्छा रखते हैं।

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