झारखण्ड में आरटीआई जाते है कूड़ेदान में 

RANCHI : अधिकारियो की मनमानी और विकाश योजनाओ में परिदर्शिता लाने के लिए  केन्द्र सरकार ने सरकारी , अर्द्धसरकारी , गैर सरकारी कार्यालय में आम लोगो के हक़ के लिए आरटीआई लागू किया ताकि हरेक तरह की जानकारिया आम जनता को मिल सके ! परन्तु झारखण्ड में आरटीआई का नजारा कुछ अलग ही देखने को मिल रहा है । राज्य के अनेको  जिले में आरटीआई के नाम पर अधिकारियो द्वारा सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है । भले ही राज्य सरकार जनता के लिए चलाये जा रहे लाभान्वित योजनाओ में पारदर्शिता के साथ चलाने की बात कह रही है परन्तु उन योजनाओ से सम्बंधित दस्तावेज आरटीआई के माध्यम से मांगे जाने पर अधिकारी चुप्पी साध सूचना नहीं देते है !हलाकि जनउपयोगी से जुड़ा दस्तावेज इन अधिकारिओ के ढोल का पोल खोलकर रख देगी  इसलिए उन दस्तावेज को आरटीआई के माध्यम से मांगे जाने पर उन्हें उपलब्ध नहीं करवाया जाता है !

सुचना आयोग का खुलेआम उलन्घन राज्य सूचना आयोग में देखने को मिला । कई जिले से आये लोग सूचना सम्बंधित इंसाफ पाने को लेकर राज्य सूचना आयोग का  पिछले तीन से छह माह से चक्कर लगाते नजर आये ! जिले में प्रथम अपीलीय अधिकारी के द्वारा सूचना उपलब्ध नहीं करवाने पर लोगो ने राज्य सूचना आयोग में अपनी फरियाद को लेकर पहुंचे है पर यहाँ भी समय पर समय  दिया जा रहा है जिसके कारन अनेक जिले से आये  लोगो को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है !

राज्य सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त का पद वर्तमान सरकार के गठन के बाद से खाली है ।इसके साथ ही साथ व्यवस्था और अधिकारियो की कमी होने के कारण मामलो का निष्पादन समय पर नहीं हो पा रहा है । सूचना पाने को लेकर जिले से लेकर राज्य तक चक्कर लगाकर थक जा रहे है । वही मामले की लीपा पोती करने में जिले के अधिकांश जन सूचना पदाधिकारी या तो सूचना उपलब्ध करवाने में काफी कार्यालय का चक्कर लगवाते है या संबंधित मामले में आधी अधूरी जानकारी उपलब्ध कराते है । इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि झारखण्ड में RTI को कूड़ेदान में डाल दिया जाता है । कई ऐसे भी है जो कई सालो से धैर्य पूर्वक चक्कर लगाते फिर रहे है ताकि सूचना मिल जाए । इसी आशा और उम्मीद के साथ लोग लगातार रांची जाते है ।

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