जिला प्रशासन को दे रहे है खुलेआम चुनौती , स्वास्थ्य विभाग नतमस्तक

अवैध नर्सिंग होम 160-170 का आंकड़ा पर कितनी हुई करवाई, महज एक पर करवाई करने में महीने बीत गए पर करवाई के नाम पर अब तक खाना पूर्ति ।

राष्ट्रीय शान

चतरा । जिले के विभिन्न क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत व लापरवाही के कारण कुकुरमुत्ते की तरह फैले अवैध नर्सिंग होम व अस्पताल खुलेआम मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं और स्वास्थ्य विभाग का काम महज करवाई के नाम पर खाना पूर्ति तक ही सीमित होकर रह गया है। घटनाएं होने के बाद विभाग के द्वारा केवल जांच व कार्रवाई के आदेश निकाल कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ले रही है । हालांकि होता कुछ भी नहीं है। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण लगातार ऐसे अवैध नर्सिंग होम व अस्पतालों का संचालन करने वाले फर्जी चिकित्सकों का मनोबल बढ़ता जा रहा है । तभी तो सुदूरवर्ती क्षेत्र को छोड़कर अब मुख्यालय में ही अपना दुकान खोल लिया है ।

मुख्यालय के सबसे पॉश इलाके से महज 1 किलोमीटर की दूरी पर कई अवैध नर्सिंग होम जहां होता है इलाज के नाम पर लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़। इन अवैध नर्सिंग होम में डॉक्टर ही नहीं, बल्कि पूरे अस्पताल का सेट-अप ही फर्जी बनाया है । जहां सस्ते इलाज का लालच देकर लोगों को फंसाया जाता है और इस फर्जीवाड़ा के लिए बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था देने के नाम पर लैब टेक्निशियन से लेकर फर्जी डॉक्टर सर्जरी करते है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग में कुछ ऐसे कर्मी व अधिकारी है जो मोटी रकम लेकर सिर्फ कागजी आधार पर ऐसे नर्सिंग होम को क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट सर्टिफिकेट तक दे दिया है । हालांकि जिस सर्जन के नाम पर सर्जरी नोट तैयार होता है, वह ऑपरेशन थिएटर में वह होता ही नहीं है । ऐसा एक मामला नहीं बल्कि अब तक सैकड़ो मामला सामने आ चुका है । जरा आप सब यह कल्पना करके देखिए, सर्जरी जैसा जटिल इलाज और जो सर्जरी कर रहा है उसके पास उसकी कोई योग्यता ही नहीं। मरीज की जान कितनी सस्ती है। इस ‘मौत के अस्पताल’ में सर्जरी के बाद अगर वह बच गया तो उसकी किस्मत।

सबसे दिलचस्प सवाल है कि कुछ माह पूर्व आधा दर्जन से अधिक मौत होने के बाद स्वास्थ्य महकमा के सबसे बड़े अधिकारी सिविल सर्जन जगदीश प्रसाद ने मीडिया को यह बयान दिया कि 160 से 170 अवैध नर्सिंग होम संचालित है और इन सभी पर करवाई किया जायेगा पर इन्होंने किया क्या ??

अवैध नर्सिंग होम संचालक जिला प्रशासन को खुलेआम दे रहे है चुनौती , स्वास्थ्य महकमा नतमस्तक

एमएस सेवा सदन में एक मरीज की मौत हो गई । मरीज मौत मामले में उपायुक्त ने गम्भीरता से लेते हुए जांच कमिटी बनाई ।जांच कमिटी ने मामले में सत्यता पाई जिसके पश्चात क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट सर्टिफिकेट एक्ट को रद्द करते हुए सील करने का आदेश निकाला गया पर हुआ क्या किसी ने भी सील करने की जुर्रत नहीं किया । अब ऐसे में सवाल उठता है कि स्वास्थ्य विभाग क्यूँ है मौन या टास्क फोर्स है गौण ??

● अगर स्वास्थ्य विभाग हरकत में है तो पर्दे के पीछे कौन है जो करवाई को किए हुए है प्रभावित ?? यक्ष सवाल

● मरीजों के मौत का इंसाफ और झोला छाप द्वारा मौत बाँटने पर करवाई को लेकर गम्भीर क्यूं नहीं है स्वास्थ्य विभाग ।।

● सिविल सर्जन के पास ठोस आंकड़ा होने के बावजूद सिर्फ कागजी करवाई ,यह कैसा खेल , क्या सभी संचालको के साथ बन गया इनका मेल ??

● अवैध नर्सिंग होम 160- 170 के आंकड़े में महज एक पर करवाई करने से डर रही है स्वास्थ्य विभाग ?

● एम एस सेवा सदन को पिछले एक माह से सील करने का सिर्फ चिट्ठी निकाल विभाग से लेकर टास्क फोर्स कर रहा है खाना पूर्ति ।।

● चतरा बस स्टैंड के पास तथा जय मंगल पाण्डेय चौक के पास बगैर किसी लाईसेंस का अवैध नर्सिंग होम है संचालित , सिविल सर्जन को साक्ष्य के साथ जानकारी दिए जाने के बावजूद करवाई के बजाय मेहरबान क्यूं ??

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