JMM के पास केवल 35 विधायक का समर्थन
राष्ट्रीय शान
रांची । सांसद निशिकांत दूबे ट्वीट कर झारखण्ड में राजनीतिक खलबली मचा देते है । इस समय देशभर के लोगों की निगाहें झारखंड के बढ़ते राजनीतिक संकट की तरफ हैं । कल रात हेमंत सोरेन का इस्तीफा हुआ लेकिन गवर्नर ने बहुमत होने के बावजूद झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक दल के नए नेता चंपई सोरेन को शपथ के लिए नहीं बुलाया । सुबह से लेकर शाम तक अटकलें लगाई जाती रही कि क्या बिहार के तर्ज पर यहां भी कोई खेल होने वाला है । दोपहर 2 बजे के बाद जिस समय रांची PMLA कोर्ट में सोरेन की पेशी हो रही थी, उनके समर्थक विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट किए जाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी, वही भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के एक ट्वीट ने राजनीतिक पारा बढ़ाते हुए खलबली मचा दी । 2:11 PM पर झारखंड के गोड्डा से लोकसभा सांसद दुबे ने लिखा, ‘रांची सर्किट हाउस में हैदराबाद जाने वाले केवल 35 विधायक हैं । सरफराज अहमद विधायक नहीं हैं और हेमंत सोरेन जी जेल में हैं । अभी सभी विधायक राजभवन जाएंगे, वहां से वे एयरपोर्ट गाय, बकरी की तरह ठूंसकर ले जाए जा रहे हैं । झामुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन जी की अनुपस्थिति में यह निर्णय विधायक दल के नेता का कौन लेगा? सूचना अनुसार शिबू सोरेन जी मुख्यमंत्री बसंत सोरेन जी को बनाना चाहते हैं.’ हालांकि 3.30 बजे के आसपास खबर आई कि राज्यपाल ने शाम 5.30 बजे JMM के विधायकों को मिलने का समय दे दिया है 44 साल के बसंत सोरेन हेमंत के भाई हैं । उनका नाम आगे कर बीजेपी ने एक नया ऐंगल जोड़ दिया है । उनसे पहले हेमंत की पत्नी कल्पना का नाम सीएम पोस्ट के लिए उछाला जा रहा था । इससे पहले, निशिकांत का ट्वीट पढ़ लोग झारखंड विधानसभा की दलीय स्थिति यानी नंबर गेम को समझने में जुट गए ।
दरअसल, ईडी के द्वारा मुख्यमंत्री हेमन्त की गिरफ्तारी के पश्चात राज्यपाल को इस्तीफ़ा सौंपने के बाद झारखंड में इस समय कोई मुख्यमंत्री नहीं है । ऐसे में हॉर्स ट्रेडिंग, ऑपरेशन लोटस या राष्ट्रपति शासन की आशंका जताई जा रही है । वही चंपई सोरेन ने कहा है कि वह राज्य में नई सरकार बनाने के लिए राजभवन से निमंत्रण की प्रतीक्षा कर रहे हैं । उन्हें 81 सदस्यीय विधानसभा में 47 विधायकों का समर्थन प्राप्त है । झारखंड में सत्तारूढ़ गठबंधन ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के इस्तीफे और गिरफ्तारी के बाद कल ही झामुमो के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन का नाम नए मुख्यमंत्री के रूप में प्रस्तावित किया था ।
उन्होंने यह भी कहा कि राजभवन को नींद से जागना चाहिए । उन्होंने कहा, ‘हम 15-16 घंटे से इंतजार कर रहे हैं जबकि दूसरे राज्यों में सरकार बनाने के दावे और आमंत्रण के दो घंटे के भीतर शपथ दिला दी जाती है ।’ वह जाहिर तौर पर बिहार का जिक्र कर रहे थे, जहां JDU अध्यक्ष नीतीश कुमार ने रविवार को महागठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और उसी दिन वह भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले NDA के समर्थन से फिर मुख्यमंत्री बन गए ।
चंपई सोरेन ने 43 विधायकों के समर्थन का दावा राज्यपाल से किया है । बाकी वह 47 विधायकों के साथ होने की बात कर रहे हैं । सरफराज अहमद के इस्तीफे के बाद जेएमएम के पास इस समय 29 विधायक हैं, उनके साथ कांग्रेस के 17, सीपीआई के एक और आरजेडी के एक विधायक हैं । जबकि भाजपा के पास 26 सदस्य हैं । आजसू (ऑल झारखण्ड स्टूडेंट्स यूनियन) के 3, एनसीपी के एक और दो अन्य सांसद हैं । पूरा खेल 7-8 विधायकों के टूटने, इस्तीफे या गायब होने पर टिका है । 79 विधायकों में बहुमत का आंकड़ा 41 है । यहीं सोरेन की टीम की धड़कनें बढ़ा रहा है । कांग्रेस के प्रभारी आशंका भी जता चुके हैं कि देरी होने पर कुछ विधायकों को तोड़ने की कोशिश हो सकती है, यही वजह है कि सोरेन के समर्थक विधायकों को गुरुवार को ही हैदराबाद शिफ्ट किया जा रहा है । मौसम खराब होने की वजह से एयरपोर्ट से ग्रीन सिग्नलनक का इंतेजार है ।