बिना लाइसेन्स दर्जनों नर्सिंग होम व मेडिकल दुकान जिला में संचालित , करवाई के जगह उगाही का खेल ।।

*#ईडी को देनी चाहिए चतरा में दस्तक , स्वास्थ्य विभाग से लेकर कई अन्य विभाग में है भारी गड़बड़ियां ।।

*#चतरा में नियम विरुद्ध , घपला घोटाला और भ्रष्टाचार पर नहीं लगाया गया अंकुश तो भ्रष्टाचार की जड़े बरगद की जड़ो की तरह फैल जाएगी ।।*

चतरा । स्वास्थ्य विभाग के वरीय अधिकारी से लेकर टास्क फोर्स कमिटी में शामिल अधिकारी का रवैया अवैध नर्सिंग होम संचालकों के प्रति काफी मधुर प्रतीत होता है , तभी तो करवाई की चिट्ठी के बावजूद नर्सिग होम संचालक को बचाते आ रहे है । अब भला बचा क्यूँ रहे है तो इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण यह है कि विश्वस्त सूत्र बताते है कि संचालित सभी अवैध नर्सिग होम लाखों का मासिक चढ़ावा चढ़ाते है । एक झोला छाप डॉक्टर ने नाम नहीं छापने के शर्त में बताया कि हर माह चढ़ावा चढ़ाने के बावजूद क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट सर्टिफिकेट का रिन्यूवल कराने में हर वर्ष बतौर 30 हजार का चढ़ावा देते है । जबकि कागजों के आधार पर क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट सर्टिफिकेट लेने में 3 लाख से लेकर 4 लाख रुपये तक खर्च करने के बाद मिलता है । हालांकि क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट सर्टिफिकेट लेने के लिए MBBS डॉक्टरों का सर्टिफिकेट किराये पर लेते है और उसी सर्टिफिकेट के आधार पर क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट सर्टिफिकेट दे दिया जाता है ।

जब इतनी बड़ी रकम क्लीनिक इस्टैब्लिशमेंट सर्टिफिकेट देने के समय ही ले लिया जाता है तो झोला छाप पर किस आधार पर स्वास्थ्य महकमा करवाई करेगी ?

इसका एक उदाहरण नहीं बल्कि दर्जनों उदाहरण है…………..

● 1 *पत्रांक – 1607 दिनांक 03/10/2023 के द्वारा जारी पत्र में निर्देश दिया गया कि उपर्युक्त विषय के संबंध में कहना है कि झारखण्ड स्टेट क्लिनिकल स्टैब्लिसमेंट रजिस्ट्रेशन एण्ड रेगुलेशन रूल्स 2013 के अन्तर्गत रजिस्टर्ड विलनिक/नर्सिंग होम का जाँच कर एवं चिकित्सक (MBBS) उपलब्ध है या नहीं जाँच किया जाना है। अगर जाँच के समय चिकित्सक (MBBS) उपलब्ध नहीं पाये जाते है तो उक्त रजिस्टर्ड क्लिनिक/नर्सिंग होम का निबंधन निरस्त करने हेतु प्रतिवेदन अधोहस्ताक्षरी को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेगें साथ ही झोला छाप चिकित्सक के विरूद्ध जाँच कर विधिसम्मत कार्रवाई किया जाना है। अतः आपको निर्देशित किया जाता है कि अपने-अपने संस्थान अंतर्गत प्रखण्ड टास्क फोर्स से सम्पर्क स्थापित कर रजिस्टर्ड क्लिनिक / नर्सिंग होम एवं झोला छाप चिकित्सक के विरूद्ध जाँच करते हुए कम से कम आज एक नर्सिंग होम के विरूद्ध विधि सम्मत कार्रवाई करना सुनिश्चित करेगें ।।*

● 2 *पत्रांक – 397 दिनांक 03/10/2023 के निर्गत पत्र में असैनिक सैल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, चतरा के पत्रांक 1606, दिनांक 02/10/2023 पत्र के अलोक में कहना है कि शहरी एवं ग्रामिण क्षेत्रों में झोला छाप/फर्जी चिकित्सकों को चिहिन्त / जाँच करने हेतु सूचित किया गया है।*

*अतः श्रीमान् से अनुरोध है कि प्रखंड टण्डवा अन्तर्गत संचालित Clinic/Nursing Home/ Lab का सत्यापन हेतु टास्क फोर्स उपलब्ध कराने की कृपा की जाय।।*

● 3 *ज्ञापांक 1638 और दिनांक 6/10/2023 के द्वारा जारी पत्र में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी सह गठित प्रखंड टास्क फोर्स को उक्त संस्थान को शील करते हुवे दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करते हुवे अधोहस्तक्षरी कार्यालय को प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।*

● 4 *इसी के आधार पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने पत्रांक 562 दिनांक 03/10/2023 के आलोक में सिविल सर्जन को जांच प्रतिवेदन समर्पित किया था। जिसमें पूरे मामले को क्लीनिकल स्टेबलस्टमेंट का उलंघन बताते हुवे एमएस सेवा सदन का निबंधन रद्द करने एवं दंडनात्मक कारवाई का अनुशंसा किया गया है ।।*

● 5 *सिविल सर्जन योगदान लेने के एक माह पश्चात खुद स्वीकारा कि जिले में 160 से 170 अवैध नर्सिंग होम संचालित है ।।*

● 6 *सिमरिया सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी अशोक कुमार ने पत्रांक 45 दिनांक 25/01/2023 शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में फैले झोला छाप/फर्जी चिकित्सकों के विरुद्ध विधि सम्मत करवाई कर प्रतिवेदन उपलब्ध कराने तथा भवदीय पत्रांक 148 दिनांक 23 /01/2023 के आलोक में सिमरिया अनुमंडल एवं लावालौंग प्रखण्ड क्षेत्र में अवैध तरीके से संचालित क्लीनिक एवं नर्सिंग होम की सूची सिविल सर्जन चतरा को पत्र के माध्यम से अवगत करवाया । पत्र में कुल 28 क्लीनिक एवं नर्सिंग होम अवैध रूप से चल रहा है ।।*

● 7 *सिविल सर्जन कार्यालय में 27/01/2023 को प्राप्त हुआ । झोला छाप डाक्टर तथा अवैध नर्सिंग होम के विरुद्ध पत्र मिलते ही सिविल सर्जन तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ श्याम नन्दन सिंह ने पत्रांक 218 दिनांक 31/01/2023 को पुनः सिमरिया सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को सिमरिया अनुमंडल एवं लावालौंग प्रखण्ड क्षेत्र में अवैध तरीके से संचालित क्लीनिक एवं नर्सिंग होम पर विधि सम्मत करवाई का आदेश दिया गया । इसके अलावे कई बार करवाई के लिए रिमाइंडर किया गया पर चिट्ठी निर्गत हुए पूरे एक वर्ष होने जा रहा है  और सिमरिया अस्पताल में पत्र मिल जाने के बावजूद अब तक संबंधित दोषियों पर करवाई नहीं किया जाना क्या दर्शाता यह आप सभी समझ गए होंगे ।।*

● 8 *बिना लाइसेंस अवैध नर्सिंग होम जिला मुख्यालय में है संचालित , तो हर माह स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को चढ़ावा चढ़ाए जाने की बात विश्वस्त सूत्र का सही ।।*

● 9 *उपायुक्त ने वैसे नर्सिंग होम जिनका क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट सर्टिफिकेट नहीं है और संचालित है,उन सभी पर करवाई का दिया है आदेश , बावजूद सिविल सर्जन के द्वारा करवाई नहीं किया जाना संरक्षण देने का साफ होता है प्रतीत ।।*

● 10 *सिविल सर्जन कार्यालय से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर बगैर लाइसेंस आधा दर्जन झोला छाप मुन्ना भाई एमबीबीएस डॉक्टर ने खोला है नर्सिंग होम,जानकर तमासबीन बना है स्वास्थ्य महकमा।।*

करवाई के नाम पर जिस तरह दर्जनों पत्र निर्गत करने पर भी करवाई के नाम पर खेल खेला गया , इससे केंद्रीय जांच एजेन्सी को भी समझना चाहिए कि सम्बंधित अधिकारियों का रवैया जिले में क्या है । मानव हित को देखते हुए ईडी को एक बार चतरा में दस्तक देनी चाहिए ताकि बरगद की जड़ की तरह फैल रहे भ्रष्टाचार पर विराम लग सकें ।

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