ठंढ का कहर, कोहरे की चादर में ढका चतरा

तापमान गिरकर 10 डिग्री से नीचे, घरों में दुबके लोग

स्कूलों की मनमानी से बच्चों के लिए खतरा, विद्यालय बंद करने की अपील

चतरा: लगातार गिरते तापमान और बढ़ते कोहरे ने चतरा जिले के लोगों की जिंदगी को मुश्किल बना दिया है। पिछले कुछ दिनों से ठंढ और कोहरे की चादर ने जिले के विभिन्न इलाकों को अपनी चपेट में ले रखा है। तापमान में गिरावट ने लोगों को घरों में कैद कर दिया है, और वाहनों के परिचालन पर भी इसका विपरीत असर पड़ा है।

बच्चों की जान पर आफत, ठंढ बनी मुसीबत

सबसे ज्यादा खतरा स्कूली बच्चों को हो रहा है, जो ठंढ में ठिठुरते हुए स्कूल पहुंच रहे हैं। जिले के ज्यादातर निजी स्कूल सुबह जल्दी खुलने के कारण बच्चों को कड़ाके की ठंढ में स्कूल जाना पड़ता है, लेकिन स्कूल प्रबंधन की ओर से इस बारे में कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। कई अभिभावक बच्चों को ठंढ के कारण स्कूल नहीं भेज रहे हैं और उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर ठंढ के कारण कोई अनहोनी होती है तो इसके लिए सीधे तौर पर स्कूल प्रबंधन और शिक्षा विभाग जिम्मेदार होंगे। अभिभावकों ने शिक्षा विभाग और जिले के वरिष्ठ अधिकारियों से ठंढ को देखते हुए तत्काल निर्णय लेने की मांग की है।

शहर में अलाव की व्यवस्था, गांवों में हाल बेहाल

शहर में नगरपालिका द्वारा ठंढ से राहत देने के लिए चौक-चौराहों पर अलाव की व्यवस्था की जा रही है, लेकिन शीतलहरी और कोहरे के कहर के बावजूद आम लोग बाहर निकलने में संकोच कर रहे हैं। चतरा के अधिकांश इलाके दोपहर तक घने कोहरे की चादर में ढके रहते हैं, जिससे लोगों की दिनचर्या प्रभावित हो रही है। लोग रजाई में दुबके रहते हैं या सिर्फ जरूरी काम से बाहर निकलते हैं, जिस कारण बाजारों में भी भीड़ कम नजर आ रही है।

सरकारी कार्यों पर असर, कई लोग बीमार

सरकारी और गैर-सरकारी दफ्तरों पर भी ठंढ का असर देखा जा रहा है। कार्यालयों में कर्मी तो पहुंच रहे हैं, लेकिन ठंढ के कारण वे बाहर धूप सेंकने को मजबूर हैं, जिससे कार्यों में देरी हो रही है। कई सरकारी कर्मी ठंढ के कारण बीमार होकर अस्पताल में भर्ती हो चुके हैं। व्यापार और व्यवसाय भी बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।

गरीबों की स्थिति गंभीर, रोजगार पर आफत

ठंढ से गरीब, मजदूर और रिक्शा चालक भी प्रभावित हो रहे हैं। इनका रोजगार पूरी तरह से प्रभावित हो गया है, जिससे उनके घरों में रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है। ज्यादातर इलाके ऐसे हैं, जहां सड़कों पर वाहन चालक दिन में भी हेडलाइट जलाकर वाहन चला रहे हैं। इस साल का न्यूनतम तापमान 8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है, जो अब तक का सबसे ठंडा दिन था। नगरपालिका द्वारा जरूरतमंदों में कंबल बांटे जा रहे हैं, लेकिन यह प्रयास नाकाफी साबित हो रहा है। नगरपालिका के कार्यकाल की समाप्ति के कारण प्रबंधन में भी समस्या आ रही है।

ठंढ से बचाव के लिए चौकसी की अपील

जिला प्रशासन द्वारा लोगों से ठंढ से बचाव के उपायों पर ध्यान देने की अपील की जा रही है। प्रशासन का कहना है कि कोई भी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है, और किसी भी हालत में गरीबों को ठंढ से शिकार नहीं होने दिया जाएगा। हालांकि, ग्रामीण इलाकों में ठंढ से बचाव के लिए अभी तक अलाव की व्यवस्था नहीं की गई है और न ही कंबल का वितरण हुआ है, जिससे ग्रामीणों में नाराजगी है।

डीसी ने दिए सख्त निर्देश, खुद निकलकर स्थिति का जायजा ले रहे हैं

उपायुक्त रमेश घोलप ने सभी प्रखंड स्तर के अधिकारियों को ठंढ से बचाव के लिए आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ठंढ से निपटने के लिए पूरी तरह मुस्तैद है। डीसी ने यह भी कहा कि वे खुद रात में निकलकर स्थिति का जायजा ले रहे हैं और लोगों को राहत पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।

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