बालू उठाव पर करवाई तो दूसरी ओर अबुआ व पीएम आवास जल्द निर्माण कराने का दबाव ।।

आखिर कैसे निकलेगा इसका समाधान , एक तरफ खाई है तो दूसरी तरफ कुआं जाए तो किधर जाएं।।

बीडीओ और सीओ दोनों के पास है बड़ी चुनौती , एक को निर्माण कार्य करवाने की चुनौती तो दूसरे को बालू उठाव को रोकने की चुनौती ।।

चतरा ( संजीत मिश्रा ) । NGT के कारण 15 अक्टूबर तक राज्य सरकार द्वारा बालू उठाव पर लगाई गई रोक के कारण अबुआ व प्रधानमंत्री आवास योजना पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। एक ओर जहां प्रशासनिक स्तर पर आवास योजना को समय पर आवास पूरा करने पर दबाव बनाया जा रहा है। वहीं, बालू की अनुपलब्धता के कारण लाभुक आवास निर्माण करा पाने में असमर्थ हैं। एनजीटी की ओर से बालू के उठाव को 15 अक्तूबर तक बंद रखने का निर्देश है। इस कारण जहां-जहां बालू के यार्ड बनाए गए हैं। वैसे स्थानों से लाभुकों को बालू उपलब्ध कराया जा रहा है। लेकिन, बालू की कीमत काफी ज्यादा है। वही कई प्रखंडों में बालू यार्ड नहीं होने के कारण नदी से बालू उठाव करने वाले ट्रैक्टरों को पकड़ा भी गया है । हालांकि कुछ प्रखण्डों में तो बालू माफिया रात के अंधेरे में नदी से बालू निकालकर बड़ी बड़ी कम्पनियो को ऊंची दामों पर भंडारण का पहाड़ बना दिया । उनमें टंडवा प्रखण्ड का स्थान प्रथम है ।

वही बालू के महंगा होने से अबुआ व पीएम आवास योजना के काम पर ब्रेक लग चुका है। कई जगहों पर पिछले कई माह से अधिक समय से अधूरा काम रुक गया है। बालू के अधिक महंगा होने से घरों का काम शुरू करने में लोग हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। जानकारी के अनुसार, वर्तमान में बालू की दर प्रति हाइवा 30 से 32 हजार रुपये देने पड़ रहे हैं। वहीं, सरकारी दर प्रति सीएफटी 7.75 रुपये के साथ टैक्स है। बालू घाटों का टेंडर होता नहीं है और बालू माफियाओं के कारण आम लोगों को परेशानी होती है।

सरकार की महत्वाकांक्षी योजना अबुआ आवास , प्रधानमंत्री आवास, 15वें वित्त और निजी मकान सभी कार्यों में बालू की समस्या से लोग प्रभावित हैं। यदाकदा अगर बालू मिल भी रहा है तो आर्थिक बजट को बिगाड़ दे रहा है तथा जिला प्रशासन के द्वारा बालू उठाव करने वाले ट्रैक्टरों के विरुद्ध लगातार करवाई किया गया है । हालांकि प्रधानमंत्री आवास योजना निर्माण तथा मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए बालू का वैकल्पिक व्यवस्था जिला प्रशासन को करनी चाहिए । वर्तमान में जिले के कई प्रखण्डों में बालू उठाव पूरी तरह से ठप है। उपायुक्त द्वारा गठित टास्क फोर्स टीम के द्वारा ट्रैक्टर को जब्त कर मुकदमा दर्ज किए जाने के बाद महत्वकांक्षी योजनाओं के निर्माण के लिए भी बालू की उपलब्धता नहीं कराई जाती है । इधर खनन विभाग के द्वारा लगाए गए पूर्ण प्रतिबंध के कारण मुंह मांगी कीमत देने के बावजूद भी कोई भी गाड़ी मालिक प्रशासन के डर से बालू देने को तैयार नहीं हो रहा है।

गौरतलब है कि ट्रैक्टर मालिक प्रशासन के डर से बालू का उठाव नहीं कर रहे है। इधर पुलिसिया कार्रवाई में अनेक ट्रैक्टर थाने में ज़ब्त किए जा चुके हैं। जिला प्रशासन का कहना है कि खनन विभाग का पूर्ण निर्देश है कि बालू के उठाव पर 15 अक्टूबर तक पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। इसमें अगर कोई भी चोरी-छिपे बालू का उठाव करता पकड़ा गया तो फाइन भरने के साथ सम्बंधित दोषियों पर पर कठोर कार्रवाई व मुकदमा की जाएगी। इधर आवास के लाभुकों का कहना है कि सरकार द्वारा कहा जा रहा है कि आवास योजना जल्द पूरा करें नहीं तो कार्रवाई की जाएगी। लाभुक धर्म संकट में पड़े हुए हैं। एक तरफ खाई है तो दूसरी तरफ कुआं जाए तो किधर जाएं।

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