सड़क, बिजली और पानी से महरूम तिलरा गांव के ग्रामीण करेंगें वोट बहिष्कार,18 वीं सताब्दी की व्यवस्थाओं में जीने को विवश

आजादी के 75 साल बाद भी मूलभूत सुविधा से वंचित हैं तिलरा गांव के ग्रामीण

चतरा : देश आजादी के अमृत महोत्सव मना रहा है पर आज भी कई ऐसे गांव है जहां के लोग महोत्सव जैसे उत्सव का अर्थ नहीं जानते है और 18 वीं सताब्दी की व्यवस्थाओं में जीने को विवश है । ना सड़क और ना ही बिजली पानी यही है सदर प्रखंड के तिलरा गांव की कहानी । 45 घरों की यह बस्ती आजादी के 75 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। इस गांव की विडंबना है कि यहां एक भी चापानल नहीं है । ऐसे में यहां के ग्रामीण आज भी कुआं के पानी से अपनी प्यास बुझाते हैं। सड़क तो आज तक बनी ही नहीं है। आने जाने का एकमात्र सहारा पगडंडी है। हालांकि इस गांव में बिजली जरूर पहुंचाने का प्रयास किया गया था। पोल तार गाड़ा गया, मीटर आदि लगाया गया, 2 महीना बिजली भी जली पर सॉर्ट सर्किट में एक बार तार जो जली उसे 3 साल बीत जाने के बाद भी विभागीय अधिकारियों और सांसद, विधायक और मंत्री की लापरवाही के कारण बदला नहीं जा सका। ऐसे 3 साल से गांव के ग्रामीण ढिबरी युग में जीने को विवश हैं। थक हारकर यहां के ग्रामीणों ने 2024 के लोक सभा चुनाव का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। ग्रामीणो ने बताया कि चुनाव आते ही ये बड़े बड़े वादे करते हैं परंतु चुनाव जीतने के बाद सब भूल जाते हैं। ऐसे में उन्होंने नारा दिया है कि रोड नहीं तो वोट नहीं, बिजली नहीं तो वोट नहीं, पानी नहीं तो वोट नहीं।

पूरे मामले में बिजली विभाग के पदाधिकारी ने बताया कि आपके माध्यम से पता चला कि गांव में बिजली नहीं है। उन्होंने कहा कि जांच करवाकर प्राक्कलन तैयार कर गांव में बिजली बहाल करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

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