रांची । भारतीय मजदूर संघ झारखंड प्रदेश के तत्वावधान में दो दिवसीय अधिवेशन का उद्घाटन भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश अध्यक्ष सत्यनारायण सिंह व उपस्थित अतिथियों के मौजूदगी मे झंडोतोलन कर किया। एस मौके पर निवर्तमान मेयर “डा आशा लकड़ा, भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय उप महामंत्री, क्षेत्रीय संगठन मंत्री सुरेन्द्र पाण्डेय, क्षेत्रीय संगठन मंत्री भारतीय मजदूर संघ धर्मदास शुक्ला, राष्ट्रीय कार्य समिति सदस्य भारतीय मजदूर संघ सुरेश प्रसाद सिन्हा, अखिल भारतीय महिला प्रमुख सुधा मिश्रा, प्रदेश अध्यक्ष सत्यनारायण सिंह, प्रदेश मंत्री सुनिल कुमार एवं प्रदेश संगठन मंत्री बृजेश कुमार ने संयुक्त रूप से द्वीप प्रज्जवलित कर अधिवेशन का शुभारंभ किया। भारतीय मजदूर संघ झारखंड प्रदेश का आठवां दो दिवसीय अधिवेशन में छह प्रस्ताव पारित किए गए जो इस प्रकार हैं:
असंगठित श्रमिकों के वेतन समाजिक सुरक्षा और रोजगार गारंटी, भगवान बिरसा मुण्डा सिद्ध कानु, चाँद-भैरव की कर्मस्थली झारखण्ड मेहनत से अपना भाग्य बदलने वाले मजदूरों का प्रधान राज्य है। झारखण्ड में कुल 24 जिलों में कुल श्रम बल 81 लाख है जिसमें 18 लाख संगठित क्षेत्र से एवं 63 लाख असंगठित क्षेत्र के श्रमिक है। आंकड़े ही नहीं व्यवहारिक स्तर पर भी झारखण्ड के विकास में असंगठित श्रमिकों की भूमिका को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता जिसमें निम्नलिखित प्रकार के मजदूरों के न्यूनतम मजदूरी की प्रस्ताव लिया गया । देहाडी मजदूर, मोटिया मजदूर, मनरेगा और अन्य असंगठित काय करने वाले ठेका मजदूर को जो न्यूनतम मजदूरी दिया जाता है। भारत सरकार की तय न्यूनतम मजदूरी से कम दी जाती है। वैसे भी झारखण्ड सरकार का न्यूनतम मजदूरी 379 रुपया है जो आज की महग़ॉई में बहुत कम है। अतः इस प्रकार के सभी मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी 693 रुपया किया जाए । प्रदेश में आज के समय में लगभग डेढ़ लाख आंगनबाड़ी कर्मचारी कार्य कर रही हैं। जो सरकार के योजनाओं को निचले स्तर तक ले जाने का काम करते हैं। जैसे सरकार की समस्त स्वास्थ्य योजना, जनगणना, चुनावी योजना एवं पल्स पोलियो आदि काम करती हैं तथा इसके साथ ही साथ उनका 8 घंटे से 10 घंटे तक काम करना पड़ता है। इसी तरह से उनको 24 रजिस्टर भी हम तैयार करने पड़ते हैं। इनका वेतन के नाम पर बहुत कम मानदेय दिया जाता है। यह समाज में अपमानित जिंदगी जीने को मजबूर रहते हैं तथा इनका किसी भी प्रकार का छुट्टी आदि नहीं मिलती है। अगर एक दिन अवकास हो जाती है तो उनको 7 दिन का वेतन काट लिया जाता है, जिसके कारण इनका काफी अपमानजनक जिंदगी जीना पड़ता है। हम इस साधारण सभा में मांग करते हैं कि न्यूनतम वेतन कम से कम 18000 और सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए।
झारखण्ड प्रदेश में सहिया बड़ी संख्या में कार्य करती है जो सरकार की स्वास्थ्य आदि योजनाओं को ग्रामीण स्तर तक पहुँचाती है परंतु इनको प्रोत्साहन के नाम पर केवल 2000 रू प्रोत्साहन राशि दी जाती है। इसलिए सहिया बहनों को भी सहिया साथी के भांति मानधन तय किया जाए और सहिया सहिया साथी बी-टी-टी को स्कीम वर्कस घोषित करते हुए सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए जब तक घोषण नही होती है तब तक बी-टी-टी को 24000/- रुपया सहिया साथी को 18000/- रुपया और सहिया को 15000/- रुपया प्रति माह मानदेय देने भविष्य निधि की कटौती करने, ग्रेचूयटी एवं सेवानिवृत्ति के पश्चात पेंशन देने मेडिकल सुविधा देने साल में एक बार बोनस देने आदि। सभी संगठित क्षत्रो में कार्यरत असंगठित ठेका मजदूर आउटसोर्सिंग मजदूर आदि को स्थायी प्रकृति के काम के आधार पर स्थाई कर्मचारी या मजदूरों के बराबर वेतन दिया जाए। सर्वोच्च न्यायलय के निर्णयानुसार समान काम का समान वेतन दिया जाए स्थाई कर्मचारी की भांति सभी सुविधाएँ दी जाए। साथ ही साथ एचईसी के गंभीर समस्याओं का निदान के लिए भारतीय मजदूर संघ लगातार प्रयास कर रही है, अधिवेशन में रोज़ागर गारंटी पर और सामाजिक सुरक्षा पर चर्चा की गई। इस आशय किम जानकारी एचईसी मजदूर संघ के महामंत्री रमाशंकर प्रसाद ने दी ।