टंडवा के जंगलों में कोयला माफिया का बेखौफ खेल : क्या प्रशासन और NIA की सख्ती नाकाफी साबित हो रही है??

कोयला कारोबारी हाइवा से जंगल में कोयला गिराकर कर रहे तस्करी ।।

चतरा/टंडवा ( संजीत मिश्रा ): झारखंड में औद्योगिक नगरी के नाम से विख्यात चतरा जिले के टंडवा क्षेत्र स्थित जंगलों में अवैध कोयला कारोबार पूरे जोरों पर है। दिन में तस्कर हाइवा वाहनों से जंगलों में कोयला गिराते हैं, और रात के अंधेरे में चोरी-छिपे इसे मंडियों तक पहुंचाया जाता है। स्थानीय निवासियों और सूत्रों से मिली जानकारी ने यह उजागर किया है कि तस्कर बेखौफ होकर इस अवैध धंधे को अंजाम दे रहे हैं।

शाम को गिरता है कोयला, रात में होती है तस्करी….

सूचना के अनुसार, तस्कर हर शाम जंगलों में कोयले की गाड़ियों को गिराते हैं। रात में बिना किसी रोकटोक के, इन कोयलों को मंडियों तक पहुंचाया जाता है। हाल ही में, ग्रामीणों ने एक तस्कर को संदिग्ध गतिविधियों के दौरान पकड़ा, लेकिन वह अपनी गाड़ी को जंगल में छोड़कर भाग निकला। ग्रामीणों का कहना है कि यह धंधा लंबे समय से चल रहा है और अब स्थिति गंभीर होती जा रही है।

तीन तस्कर बना रहे अवैध कारोबार का मास्टर प्लान…..

सूत्र बताते हैं कि इस अवैध कारोबार के पीछे तीन मुख्य तस्कर हैं, जिन्होंने पूरे इलाके में एक संगठित नेटवर्क खड़ा कर रखा है। ये लोग कोयले का अवैध खनन कर उसे बाजार तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं। उनका नेटवर्क इतना मजबूत है कि प्रशासन को भी चुनौती दे रहा है।

NIA और स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल….

देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी NIA (नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) और स्थानीय प्रशासन की सख्ती के बावजूद, टंडवा के कोल माफियाओं के हौसले बुलंद हैं। सवाल उठता है कि क्या NIA और प्रशासन की सख्ती नाकाफी साबित हो रही है? ग्रामीणों ने प्रशासन पर कार्रवाई में ढिलाई बरतने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि प्रशासन को इन अवैध गतिविधियों की जानकारी होने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है।

प्राकृतिक संपदा और राजस्व की हो रही है चोरी….

टंडवा के जंगलों में कोयला माफिया सिर्फ प्राकृतिक संसाधनों का नुकसान नहीं कर रहे, बल्कि केन्द्र व राज्य के राजस्व को भी बड़ा नुकसान पहुंचा रहे हैं। अवैध खनन और तस्करी की वजह से सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व घाटा हो रहा है।

अगर समय रहते इन तस्करों पर शिकंजा नहीं कसा गया, तो यह न केवल प्राकृतिक संपदा को खत्म कर देगा, बल्कि सरकार के राजस्व और स्थानीय विकास को भी नुकसान पहुंचाएगा। प्रशासन और जांच एजेंसियों को तत्काल कदम उठाने की जरूरत है, ताकि टंडवा के जंगलों से अवैध कोयला कारोबार को पूरी तरह खत्म किया जा सके।

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