बालू माफियाओं पर कार्रवाई करने में खनन टास्क फोर्स की टीम विफल…
चतरा । जिले के हंटरगंज ,टंडवा,इटखोरी ,मयूरहंड प्रखंड क्षेत्र मे लगातार हो रहे बालू के अवैध खनन और ढुलाई से यहां की नदियों का अस्तित्व मिटने के कगार पर है। इन प्रखण्डों में बहने वाली आधा दर्जन से अधिक नदियां अपने हालत पर आँसू बहा रही है । अब हम अगर टंडवा औद्दौगिक नगरी की बात करे तो यहाँ की प्रमुख नदी गेरूआ ,उतराठी,उड़सू ,बिंगलात ,नवाखाप,खधैया व फुलवरिया सहित अन्य नदियां आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। इन नदियों से माफियाओं ने बालू का इतने बड़े पैमाने पर खनन किया है कि नदियों में छट्टाक भर भी बालू नजर नहीं आता है । जो नदियां बालू से भरी होती थी,आज उनमें बालू के जगह मिट्टी दिखाई पड़ रहा है। इन नदियों से रोजाना सैंकड़ों ट्रैक्टरो की मदद से बालू निकालकर माफिया वगैर चालान के प्रखंड में संचालित विभिन्न कंस्ट्रक्शन कम्पनियों में खपा रहे हैं। जिससे खनन विभाग को रोजाना लाखों रूपये की चपत तो लग रहा है,साथ ही मिट्टीनुमा बालू से निर्माण कार्य होने से कंस्ट्रक्शन भी कमजोर हो रहा है। माफियाओं के इस कारनामे पर न तो प्रखंड प्रशासन का कोई ध्यान है और न ही जिला प्रशासन के द्वारा गठित खनन टास्क फोर्स की टीम ही एस मामले मे सूद लेना अब तक मुनासिब नहीं समझा है । नतीजा यह हो गया है कि बालू के अधिक खनन से नदियों का जलस्तर भी तेजी से नीचे चला जा रहा है। एक समय था जब इन्हीं नदियों के सहारे आसपास के क्षेत्रो के खेतों में फसलें लहलहाती थी और लोग पेयजल के लिए भी नदी की पानी का उपयोग करते थे। लेकिन इस भीषण गर्मी में नदियों से जानवरों को पीने के लिए एक बूंद पनि भी नसीब नहीं हो रहा।
माफिया अब नदी की खुदाई कर के निकाल रहे बालू
बालू के अवैध खनन और तस्करी में महारथ हासिल कर चुके बालू माफिया नदियों से बालू के खनन का एक और नया तरकीब अपनाया है। प्रखंड के बिंगलात नदी से माफिया अब नदी की पांच-आठ फीट तक की गहरी खुदाई कर बालू का खनन कर तस्करी कर रहे हैं। माफियाओं के इस साहस को देखकर ऐसा प्रतीत होता है,मानो इन माफियाओं ने नदियों के अस्तित्व को जड़ से मिटाने का टेंडर ले रखा है। और संबन्धित अधिकारी तमाशबीन बनकर अप्रत्यक्ष रूप से संरक्षण देने मे कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहें है , वहीं प्रखंड के उतराठी नदी का भी हाल कुछ ऐसा ही है। माफिया रात के नौ बजे से लेकर सूबह के तीन-चार बजे तक नदी से बालू का उठाव कर एनटीपीसी के विभिन्न कंपनियों में बालू पहुंचाते हैं। एनटीपीसी में कार्यरत माता जानकी,भवानी व जीडीसीएल के अलावे रेलवे के आईएससी कंस्ट्रक्शन व मिलेनियम कंस्ट्रक्शन सहित अन्य कंपनियों में बालू को पहुंचाया जाता है। जहां पहुंचने के बाद कम्पनी के द्वारा हंटरगंज,रामगढ़ और बड़कागांव सहित अलग-अलग स्थानों का फर्जी चालान बनाकर बालू को वैद्य बताया जाता है। हंटरगंज के जेसेंमबीसी के घाटो पर चालान का सबसे अधिक फर्जीवाड़ा किया जा रहा है तथा निजी घाट के संचालक भी फर्जी चालान बेचने का कम कर रहे है । हालांकि कुछ माह पूर्व तत्कालीन उपायुक्त के निर्देश पर खनन इंस्पेक्टर ने कारवाई करते हुए लाखों रुपये का फ़ाईन लगाया । एसके बावजूद वैधता के आड़ मे अवैध कारोबार रुकने का नाम नहीं है । हालांकि एस कारोबार मे दिन दुगना रात चौगुना की कमाई देख बालू माफिया जिला प्रशसन को खुली चुनौती तथा कुछ प्रखण्डों मे स्थानीय प्रशासन के द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से प्राप्त संरक्षण का भरपूर लाभ बालू माफिया उठा रहे है । सबसे आश्चर्य की बात यह है की बीच -बीच मे कारवाई के नाम पर वैसे लोगो पर कारवाई किया जाता है जो घर के कार्य या प्रधानमंत्री आवास ,बिरसा आवास या अंबेडकर आवास निर्माण के लिए नदी से बालू ले जाते है ।
खनन टास्क फोर्स नहीं कर रही कार्रवाई
जिले में अवैध खनन और परिवहन के रोकथाम के लेकर जिला प्रशासन के द्वारा खनन टास्क फोर्स की टीम का गठन किया गया है। लेकिन टंडवा में न तो खनन टास्क फोर्स की टीम अवैध खनन, परिवहन और भंडारण पर कोई ठोस कार्रवाई कर पा रही है और न ही प्रखंड के जिम्मेदार पदाधिकारी। नतीजन ऐसे कई स्थानों पर माफियाओं के द्वारा बालू का उठाव कर भंडारण भी किया गया है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि नदियों के मिटते अस्तित्व और बालू के अवैध खनन और भंडारण पर खनन टास्क फोर्स की टीम अथवा प्रखंड प्रशासन की टीम कब तक कार्रवाई कर नकेल कसती है। हालांकि उपायुक्त रमेश घोलप अवैध खनन,भंडारण ओर परिवहन के विरुद्ध काफी सख़्त है , जिला स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक में टास्क फोर्स मे शामिल अधिकारियों को ईसके रोकथाम के लिए कारवाई करने का सख़्त आदेश/निर्देश दिये है पर जिम्मेदार अधिकारी कारवाई के नाम पर खानापूर्ति करने मे लगें रहते है ।