जान जाती रहे सिविल सर्जन को नहीं है इसकी परवाह , प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी आदेश को दिखाते आ रहे है ठेंगा ।।

सिविल सर्जन ने जिला के वरीय अधिकारी से लेकर राज्य के वरीय अधिकारी और मंत्री तक को बताया औकात ।।

झोलाछाप डॉक्टर ने ली जच्चे बच्चे की जान , सिविल सर्जन जगदीश प्रसाद के योगदान देने के बाद से आए दिन आकाल मृत्यु में समा रहे है लोग तमाशबीन बना है सरकारी सिस्टम ।।

चतरा । जिले में झोलाछाप डॉक्टर ने फिर जच्चा-बच्चा की जान ले लिया । मामला प्रतापपुर प्रखंड मुख्यालय स्थित अन्नु नर्सिंग होम का है । बच्चे की नर्सिंग होम मेँ मौत हुई जबकि जच्चा की मौत गया के एक नर्सिंग होम मे भर्ती कराने से पहले हो गई । झोला छाप डॉक्टर ने घटना के पश्चात क्लीनिक वंद कर फरार हो गया है । स्वास्थ्य विभाग के द्वारा इस बार भी वही होने वाला है जो पहले होते आया है ।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी जनहित के लिए कितना कार्य करते है यह धरातल पर घूमकर जानकारी लेने के बाद पता चलेगा । जनहित के लिए बनाए गए कड़े नियम कानून को मनमुताबिक निजी लाभ के लिए नियमों का धज्जियां उड़ाने का काम कोई और नहीं बल्कि जिम्मेवार पदाधिकारी ही कर रहे है और सरकारी सिस्टम जानकर तमासबीन बना हुआ है ।

सिविल सर्जन साहब चतरा की जनता का खूब ख्याल रखते हैं और इसका जीता जागता उदाहरण एक नहीं बल्कि दर्जनों करवाई के लिए निकाले गए पत्र है । इस बार ज्ञापंक संख्या 126 दिनांक 18/01/2024 को निकाले गए पत्र में जानिए सिविल सर्जन ने क्या लिखा है ।

सदर अस्पताल, चतरा में OPD एवं Emergency ड्यूटी में कार्यरत चिकित्सकों के द्वारा उच्चतर स्वास्थ्य संस्थानों में मरीजों को रेफर किये जाने के संदर्भ में लगातार यह शिकायत प्राप्त हो रही है कि सदर अस्पताल, चतरा से Dog Bit के मरीजों के साथ-साथ अन्य वैसे मरीजों को भी ईलाज हेतु उच्चतर स्वास्थ्य संस्थानों रेफर कर दिया जाता है जो अत्यत खेदजनक स्थिति है एवं इससे सदर अस्पताल, चतरा की छावि धूमिल हो रही है।

उक्त के आलोक में सदर अस्पताल, चतरा में पदस्थापित / प्रतिनियुक्त सभी चिकित्सक एवं उपाधीक्षक को निदेश दिया जाता है कि इस प्रकार के शिकायत की पुनरावृति होने की स्थिति में संबंधित के विरूद्ध कार्रवाई हेतु विभाग को अनुशंसा कर दी जाएगी जिसके लिए वे स्वयं जिम्मेवार होंगे।

यह बात तो स्पष्ट है कि छोटी बीमारी का ईलाज करवाने आए मरीजों को भी जानबूझकर रेफर करने का खेल सदर अस्पताल में चल रहा है । अब ऐसा कार्य कही इसलिए तो नहीं किया जा रहा कि मरीजों को निजी नर्सिंग होम में आसानी से भेजा जा सके ? सिविल सर्जन ने यह खुद बयान दिया है कि 160 से 170 अवैध नर्सिंग होम खोला गया है । कुकुरमत्ते की तरह कैसे खोला गया है यह हमारे समझ से परे है । अब इस तरह के बयान देकर सिर्फ अवैध नर्सिंग होम संचालकों में अपनी खौफ पैदा करने का हथकंडा तो नहीं ऐसा प्रतीत होता है ? करवाई के जगह मेहरबानी सिविल सर्जन के कार्यशैली पर कई सारे सवाल खड़ा करता है ।

गलत इलाज के कारण चतरा जिले में लगातार मौत हो रही हैं । जितनी बार मौत होती है सिविल सर्जन कार्यालय के द्वारा पत्र खूब निकाला जाता है । टास्क फोर्स का गठन , करवाई का आदेश , सील करने का आदेश पत्र निर्गत किये जाने के बाद ऐसा लगता है कि अब झोला छाप डॉक्टर मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ नहीं कर पाएंगे पर यह सिर्फ कागजी पन्नो की शोभा बढ़ाकर फाइलों में दफन हो जा रही है ।

सिविल सर्जन साहब से लेकर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी का अवैध नर्सिंग होम संचालकों के प्रति कितनी ईमानदारी है यह आप सभी भली-भांति समझ सकते हैं । सबसे मजे की बात तो यह है कि पूरा सिस्टम का प्रबंधन चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी के द्वारा किया जा रहा है और उसी के इसारे चतरा जिला के स्वास्थ्य सिस्टम में दागियों को सिविल सर्जन कार्यालय में पदस्थापित भी किया जा रहा है ।

अब देखना यह दिलचस्प होगा कि नई सरकार ऐसे अधिकारी के विरुद्ध कोई ठोस करवाई करते हुए अकाल मृत्यु में समा रहे मरीजों की जान बचाते है या सिविल सर्जन के मनमानी पर चुप्पी साध लेते है ??

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