इटखोरी में सरकारी व गरीबों की जमीन पर कब्जा: भू-माफिया और राजस्व कर्मियों की गहरी साठगांठ उजागर ।।

भू-माफिया के आगे नतमस्तक प्रशासन, सरकारी जमीन पर भी अवैध कब्जा कराने में निभाई अहम भूमिका ।।

चतरा (संजीत मिश्रा)। झारखंड के चतरा जिले में जमीन माफियाओं का बोलबाला चरम पर है। सदर प्रखंड ,प्रतापपुर, टंडवा, हंटरगंज व ईटखोरी में सबसे ज्यादा गड़बड़ियां सामने आ रही है । अभिलेखागार से लेकर अंचल कार्यालय तक दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा कर सौ साल पुरानी जमीनों तक को कब्जाने की साजिशें रची जा रही हैं। प्रशासन की चुप्पी इन माफियाओं के हौसले को और मजबूत कर रही है। ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला इटखोरी अंचल से सामने आया है। सूत्रों की माने तो अपर समाहर्त्ता कार्यालय में मामले की जानकारी मिलते ही दोषियों के विरुद्ध विभागीय करवाई की प्रक्रिया करते हुए स्पष्टीकरण किया गया है पर अब तक दोषी अधिकारी व कर्मियों के द्वारा जवाब देना भी मुनासिब नहीं समझा गया है ।

शिकायतकर्ता पीड़ित मनोज कुमार सिन्हा, ग्राम परोका कला निवासी, ने अंचल कार्यालय में पदस्थापित प्रभारी अंचल निरीक्षक अनुभव आनंद पर संगीन आरोप लगाए हैं। मनोज सिन्हा का कहना है कि उनकी पुश्तैनी जमीन, जो खाता संख्या 68, प्लॉट संख्या 454, रकवा 263 डिसमिल (मौजा मडवा) में स्थित है और जिसे उनके पूर्वजों ने 1945 में केवाला deed से खरीदा था, आज राजस्व भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है।

मनोज सिन्हा के अनुसार, उन्होंने जब भूमि का दाखिल-खारिज कराने हेतु अनुभव आनंद से संपर्क किया, तो उनसे 4.5 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की गई। मना करने पर उनकी जमीन पर फर्जीवाड़े से अन्य लोगों का नाम दर्ज कर दिया गया, और ऑनलाइन रसीदों में हेराफेरी कर अवैध रसीदें जारी कर दी गईं।

इन फर्जी रसीदों में प्रमुख नाम सैनाथ मिस्त्री (पिता-उरांव मिस्त्री) का है, जिनके नाम पर 1982 से 2024 तक की लगातार रसीदें ऑनलाइन दर्ज हैं। इसके अलावा डीलो सिंह, डमर सिंह, तपेश्वर सिंह, ठाकुर प्रसाद और जानकी प्रसाद जैसे अन्य लोगों के नाम भी जोड़ दिए गए हैं।

जब पीड़ित ने तत्कालीन अंचल अधिकारी राम विनय शर्मा से न्याय की गुहार लगाई, तो उन्होंने यह कहकर टाल दिया कि “कर्मचारी से ही बात करिए।” इसके बाद भू-माफियाओं और कर्मियों द्वारा उन्हें धमकी दी गई—
“ज्यादा आवाज उठाओगे तो बची-खुची जमीन भी बिकवा देंगे, और सरकारी कार्य में बाधा का केस लगाकर जेल भेज देंगे।”

गौरतलब है कि यह वही तत्कालीन राम विनय शर्मा अंचलाधिकारी का नाम सामने आ रहा है , जिनका बालू माफियाओं से रिश्वत लेते वीडियो वायरल हो चुका है, जिसके विरोध में स्थानीय लोग सड़कों पर उतरे थे और विधायक किशुन दास ने भी विधानसभा में इनकी शिकायत उठाई थी। जिसके पश्चात जांच समिति ने रिपोर्ट भी सौंपी, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

इसी अंचल में राजस्व कर्मचारी सुखदेव तुरी का नाम भी कई घोटालों में सामने आ चुका है। आरोप सिद्ध होने के बावजूद उस पर भी प्रशासन ने कोई सख्त कदम नहीं उठाया।

अब पीड़ित मनोज कुमार सिन्हा ने उच्च अधिकारियों से गुहार लगाई है कि मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषी राजस्व कर्मियों और भू-माफियाओं पर कठोर कार्रवाई हो तथा उनकी जमीन उन्हें वापस दिलाई जाए। ऐसा ईटखोरी अंचल में एक मामला नहीं है बल्कि सरकारी जमीन पर भू-माफिया के द्वारा कब्जा कर लिया गया है और स्थानीय प्रशासन मूक दर्शक बनी रही ।

अब सवाल यह है कि क्या जिला प्रशासन सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे को अतिक्रमण मुक्त तथा पीड़ितों की पुकार सुना जाएगा या फिर न्याय की आस में सिस्टम की बेरुखी से कुचल दिया जाएगा??

क्रमशः जारी कैसे सरकारी जमीन पर कब्जा करवाया गया ……..

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