राष्ट्रीय शान
चतरा । जिले के कई प्रखण्डों मे ग्रामीणों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। मनरेगा योजना के तहत कराए जा रहे निर्माण कार्यों में मशीनों का उपयोग हो रहा है। रोजगार की कमी के चलते ग्रामीण पलायन कर रहे हैं। जिले के सदर प्रखण्ड , प्रतापपुर ,हंटरगंज ,कुन्दा ,लवालोंग और कान्हाचट्टी प्रखण्ड मे मनरेगा योजना मे भारी गड़बड़ियाँ मिलेगी । इन प्रखण्डों मे मज़दूरों का डिमाण्ड हो या मज़दूरों का भुगतान ,पुराने योजना को ही दिखाकर नए योजना का राशि निकासी आदि गड़बड़ियाँ ब्याप्त है । कान्हाचट्टी प्रखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत तुलबुल के विभिन्न गांव में मनरेगा के महत्वपूर्ण कार्य तालाब व डोभा आदि में मजदूरों के जगह जेसीबी मशीन से कार्य किया जा रहा है। साथ ही जिस योजना का कार्य समाप्त हो चुका है उस योजना की निपा पोती करके नए से योजना को चालू कर दिया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार वर्ष 2020-21 में योजना सख्या 3417005003/आएफ/7080901507457 जिसका कार्य पूर्ण हो चुका था। लेकिन वही पुराने कटे हुए डोभा में नए सिरे से बोर्ड बनाकर नया योजना चालू कर दिया गया है। नए योजना का संख्या आएफ/70809090069 है। इस तरह से रोजगार सेवक के मिली भगत से गरीबों के हक काट कर पेट में लात मारने का काम बिचौलियों द्वारा किया जा रहा है। ऐसे में गरीब व मजदूर अपना घर परिवार व बच्चों को छोड़कर जीवन यापन व रोजी-रोटी के लिए पलायन के लिए मजबूर हैं। दूसरी और प्रशासन के निचले स्तर के अधिकारी व बिचौलियों के मिली भगत से धडले से जेसीबी से मनरेगा का कार्य कराया जा रहा है। जबकि भारत सरकार और राज्य सरकार पलायन को रोकने के लिए जमीनी स्तर पर मनरेगा के तहत मनरेगा के तहत निबंधन कर लोगों को वर्ष में 100 दिन रोजगार देने की गारंटी देती है। पर इसका कितना लाभ इस अति पिछड़े सुदूर पंचायत के लोगों को मिलता है, यह मज़दूरों के लगातार पलायन से समझ सकते है ।
चतरा जिला करनामों का जिला है । इस जिले मे ऐसे ऐसे कारनामा किया गया है जिसे जानकर सभी हैरान रह जाते है । नियन विरुद्ध कार्य करना और करवाना आम बात है । योजनाओ मे कमीशनखोरी,घपला ,घोटाला , फर्जीवाड़ा कोई नई बात नहीं है । फर्जी फोटो डालकर प्रधानमंत्री आवास योजना मे सरकारी राशि की निकासी लगभग सभी पंचायतों मे मिलेगा । निवर्तमान डीडीसी उत्कर्ष गुप्ता ने हंटरगंज प्रखण्ड के करैलीबार पंचायत मे जांच के दौरान इन गड़बड़ियों को पाया था । जिसकी जांच रिपोर्ट डीसी का सौपा गया था । पर अब तक उस मामले मे दोषी पंचायत सचिव और आवास योजना से संबन्धित कर्मियों के विरुद्ध कारवाई नहीं किया गया है ।
जिले मे भ्रष्टाचार की जड़े इतनी जमा ली है जिसका स्वरूप बरगद के समान हो चुका है । ग्राम पंचायत में काम नहीं मिलने के कारण मजदूर पलायन कर रहे हैं, वहीं प्रशासन के जिम्मेदारों के द्वारा मनरेगा के तहत मशीनों से काम कराया जा रहा है और जनभागीदारी का नाम दिया जा रहा है। प्रशासन के बैठे जिम्मेदार इस तरह का काम कराने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं, जिसका परिणाम यह हो रहा है कि मजदूरों से उनकी रोजी-रोटी छिन रही है। सरकार मजदूरों को कई तरह के रोजगार उनके ही गांव में देने का वादा कर रही है। लेकिन गांवों के हालात इससे उलट हैं। रोजगार सेवक ओर बिचौलियों के मिलीभगत से मजदूरों की रोजी-रोटी छीनी जा रही है। मजदूरी के कार्यों में अब बुलडोजर की आवाज सुनाई दे रही है। दरअसल जिलेभर में बन रहे तालाबों को जल्दबाजी में पूरा करने के लिए अब पूरी तरह से मशीनों से कार्य कराया जाने लगा है। अब देखना दिलचस्प होगा की नए डीसी रमेश घोलप योगदान देने के बाद चतरा जिले मे ब्याप्त गड़बड़ियाँ , फर्जीवाड़ा ,घपला ,घोटाला और कर्मियों की मनमानी पर अंकुश लगा भी पाते है या चतरा जिस राह पर चल रहा है वह जारी रहेगा ।