राष्ट्रीय शान
रांची। झारखंड राज्य रबी फसल के आच्छादन के मामले में काफी पिछड़ा हुआ है, हालांकि हम खरीफ अच्छादन एवं उत्पादन में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन औसत से कम वर्षापात की वजह से यह सेक्टर प्रभावित हुआ है। इसलिए हमें वैकल्पिक खेती के रास्ते तलाशते हुए रबी फसल के रकवा में वृद्धि करनी हो होगी। क्रॉप इंडेंसिट में हम रबी के क्षेत्र में हम लगभग 120 फीसदी ही हैं। ये बाते कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के सचिव अबू बकर सिद्दीकी ने हेसाग स्थित पशुपालन विभाग के सभागार में कही।
सचिव ने कहा कि झारखंड में 38 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है जिसमें से 28 लाख हेक्टेयर भूमि पर खरीफ फसल होती है और 11 लाख हेक्टेयर जमीन पर रबी फसल की पैदावार होती है। जमीन किसान की आजीविका होती है इसलिए उसकी मिट्टी के स्वास्थ्य की रक्षा करना बहुत जरूरी है। उन्होंने रबी के कवरेज को बढ़ाने पर बाल देते हुए कहा कि किसानों के लिए तीन बिंदुओं पर काम पदाधिकारियों को करने की जरूरत है। सबसे पहले किसानों के व्यवहार में कैसे बदलाव हो, उसके प्रयास करने के लिए उनके घर तक आपको जाना होगा। फील्ड ऑफिसर्स को फील्ड में जाना होगा। किसानों के व्यवहार में बदलाव के साथ सहयोग करने की जरूरत है और उनको तकनीकी स्तर पर भी सहयोग करना होगा।
वाटर बॉडी के किनारे की जमीन का सर्वे कराएं: सचिव
कृषि सचिव अबू बकर सिद्दीकी ने कहा कि सभी पदाधिकारी अपने जिले की वाटर बॉडी का सर्वे कराएं और सुनिश्चित करें कि वाटर बॉडी के आसपास की जमीन पर खेती हो रही है या नहीं। साथ ही किसान हित में केसीसी का निरंतर अभियान चलाएं। विभागीय स्तर पर भी एसएलबीसी के माध्यम से बैंको पर किसानों के लिए लोन देने का दवाब बनाया जा रहा है। किसानों को समझाएं की सरकार उन्हें खेती के लिए ब्याज मुक्त ऋण बैंकों के माध्यम से उपलब्ध करा रही है। झारखंड इकलौता ऐसा राज्य है जो किसानों को 100 फीसद ब्याज रहित लोन देने की प्रक्रिया में है। उन्होंने पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि टीम बनाकर काम करें और किसानों को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने में अपना सहयोग दें।
वर्षापात कम है, इसलिए रबी का महत्व ज्यादा: कृषि निदेशक
कर्मशाला को संबोधित करते हुए कृषि निदेशक संजय कुमार सिन्हा ने कहा कि यह कार्यशाला एक अभियान का आगाज है। इस कार्यशाला के माध्यम से बताना चाहते हैं कि राज्य में योजनों का आच्छादन शत प्रतिशत हो यह सुनिश्चित करना है। बीते दो वर्षों से वर्षापात कम और बेमौसम हुई है जिसका प्रभाव सीधा हमारे किसानों और कृषि उत्पादकता पर हुआ है, इसलिए रबी का महत्व और ज्यादा बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि समय पर किसानों को बीज, खाद और अन्य सुविधाएं उपलब्ध हो सकें इसके प्रयासों में तेजी लाने की जरूरत है।
इस मौके पर रबी फसल से संबंधित पुस्तक का भी लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से निदेशक सॉयल कंजर्वेशन अजय कुमार सिंह, अपर निदेशक पी एन त्रिपाठी , उप कृषि निदेशक सामान्य – मुकेश कुमार सिन्हा, उप कृषि निदेशक योजना – अशोक कुमार सिन्हा, निदेशक मत्स्य एचएन द्विवेदी, अधिष्ठाता बीएयू डीके शाही सहित सभी जिला कृषि पदाधिकारी उपस्थित थे।