जंगलों में अन्धाधुन्ध कटाई से जंगल हो रहे है वीरान , लकड़ी माफियाओं को रोकने वाला कोई नहीं

राष्ट्रीय शान

चतरा । पर्यावरण संरक्षण को लेकर अगर समय रहते विभाग से लेकर स्थानीय लोग सचेत नहीं हुए तो वो दिन भी दूर नहीं जब पानी के लिए लोगों को पानी-पानी होना पडे़गा। जल, जंगल व जमीन की सुरक्षा के लिए भले ही सरकार करोड़ों रूपये पानी की तरह बहा रही है। वही विभाग के अधिकारी व कर्मियों के गैर जिम्मेदाराना रवैया व घोर लापरवाही के कारण जंगलों की सफाई लगातार जारी है। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा की जब जंगल नहीं बचाओगे तो जल कहां से लाओगे। चतरा जिले के उत्तरी वन प्रमण्डल क्षेत्र में धड़ल्ले से पेड़ों की कटाई जारी है । जानकारी के अनुसार चरकाकला , व रहड़िया से सटे वन क्षेत्र से सखुआ, सागवान, महुआ, आम, गम्हार जैसे बेसकीमती वृक्षों की अंधाधुंध कटाई कर माफियाओं द्वारा तस्करी की जा रही है । लकड़ी तस्करी कर माफिया तो मालामाल हो रहे हैं, मगर पर्यावरण को इससे नुकसान पहुंच रहा है ।

सूत्रों की मानें तो यह सारा खेल वन विभाग की मिलीभगत से चल रहा है । उक्त सारा मामला प्रतापपुर वन क्षेत्र से जुड़ा हुआ है । बेसकीमती लकड़ी का बोटा जंगल से काटकर प्रतापपुर से सटे झारखण्ड – बिहार सीमा पर स्थित संचालित अवैध आरा मिल में बेचा जा रहा है । यहां सैकड़ों सखुआ के पेड़ों को काट कर रखा गया है । उक्त कटाई से जंगल पूरी तरह से उजड़ता जा रहा है और वन कर्मी से लेकर अधिकारी का इस ओर नजर नहीं है । कुछ माह पूर्व उत्तरी वन प्रमण्डल में ही एक बुजुर्ग को झाड़ी काट कर ले जाने के दौरान वन विभाग के कर्मियों ने उठक बैठक करवाया था जिसका वीडियो वायरल होने के बाद सूबे के मुख्यमंत्री ने संज्ञान लेते हुए उपायुक्त व डीएफओ को करवाई करने का आदेश दिया था । जिसके पश्चात आनन फानन में दो वन कर्मी को निलंबित किया गया । जरा सोचिए झाड़ी काटने वाले पर त्वरित करवाई और सैकड़ो पेड़ काटने वाले पर करवाई तो दूर विभाग को पता भी नहीं है कि उत्तरी वन प्रमण्डल में जंगलों को वन माफिया दीमक की तरह चाट रहे है।

आपको बताते चले कि प्रतापपुर वन क्षेत्र वर्षो से माफियाओ का चारागाह बना हुआ है । जहां एक ओर वनों की अंधाधुंध कटाई जारी है ही, साथ ही अवैध तरीके से शराब चुलाई , बालू की ढुलाई, सहित दर्जनों अवैध कार्य इन क्षेत्रों में वृहद पैमाने पर जारी है । वन विभाग, प्रशासन की तरफ से कोई सख्त कदम नहीं उठाये जाने की वजह से माफियाओं का मनोबल बढ़ा हुआ है । कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है । हालांकि बीच बीच मे जिले के वरीय अधिकारी द्वारा औचक छापेमारी अभियान में कई आरा मिल को ध्वस्त किया जा चुका है ।

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