जिम्मेदार अधिकारी वन सुरक्षा के बजाय उजाड़ने वालों को अप्रत्यक्ष रूप से दे रहे है संरक्षण ।।
चतरा :- चतरा जिला झारखण्ड राज्य में सबसे अधिक वनों के लिए जाना जाता है ।इस ज़िले में पिछले कुछ वर्षों में वनों का दायरा तेजी से घटता जा रहा है । जिसके जिम्मेवार वन विभाग के अधिकारी ही है । वन विभाग के अधिकारी वनों की सुरक्षा के बजाय वन भूमि पर कब्जा करने वाले माफियाओं को अप्रत्यक्ष रूप से संरक्षण दे रहे है । यही वजह है की वनों का दायरा तेजी से घट रहा है । ऐसा ही एक मामला प्रतापपुर प्रखण्ड क्षेत्र के चरकाकला वन क्षेत्र का है। उत्तरी वन प्रमण्डल प्रतापपुर में अब भू-माफियाओं की बुरी नजर वन भूमि पर पड़ गई है । इन क्षेत्रों में जंगलों की कटाई के कारण ही आए दिन जंगली जानवर गांव में भटक चले आते है । भू-माफियाओं द्वारा लगातार अवैध रूप से जंगलों की कटाई कर वन भूमि पर कब्जा कर किया जा रहा है । आपको बताते चले कि उत्तरी वन क्षेत्र के सिर्फ चरकाकला गांव से सटे वन क्षेत्र पर अब तक लगभग 10 एकड़ से अधिक जंगलों के बेशकीमती लकड़ी काट वनों को उजाड़कर वन भूमि पर कब्जा किया जा चुका है। जिस भूमि पर कब्जा किया गया है । उसपर मकान निर्माण किया गया है तथा खेती किया जा रहा है । इसके बावजूद विभाग कुम्भकर्णीय नींद में है । विभाग का शिथिलता को देख वनों को उजाड़ने वालों के विरुद्ध स्थानीय लोगों ने मुखर होकर इसकी शिकायत वन विभाग के वरीय अधिकारी को लिखित आवेदन देकर किया । इस मामले में शिकायत मिलने पर जांच हेतु 10 नवंबर को रेंजर बीएन दास उक्त स्थल पर पहुंचे ।
वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी जब चरकाकला पहुंचे तो मामला उलटा पड़ गया उन्होंने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय। करवाई के नाम पर खानापूर्ति कर वापस लौट गए। हालांकि करवाई नहीं किया जाना एक सवाल बन कर रह गया है । ऐसा प्रतीत होता है कि भू-माफिया और रेंजर बीएन दास के बीच सांठ-गांठ हो गया है । वन विभाग के इस कार्यशैली पर ग्रामीण काफी आक्रोश में है। इस संदर्भ में उत्तरी वन प्रमण्डल क्षेत्र पदाधिकारी राहुल मीणा ने करवाई का आश्वासन तो दिया है पर अब तक करवाई नहीं किया जाना कई सारे सवालों को जन्म देती है । अब देखना दिलचस्प होगा कि खबर प्रकाशित किए जाने के बाद वन विभाग के वरीय अधिकारी करवाई करते हुए वन क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त कराती है या सब कुछ जानकर मामले को ठण्डे बस्ते में डाले रहते है ।