घर-घर गूंजे छठी मैया के गीत ,पूरा वातावरण भक्ति और लोक संगीत से सराबोर ।।
चतरा। लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ शनिवार से नहाए-खाए के साथ विधिवत रूप से प्रारंभ हो गया। जिले भर में धार्मिक उत्साह और श्रद्धा का अद्भुत वातावरण देखने को मिल रहा है। सुबह व्रतियों ने पवित्र नदी, तालाब और कुंडों में स्नान कर सात्विक भोजन अरवा चावल का भात, चने की दाल और लौकी की सब्जी प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया। इसी के साथ सूर्य उपासना की शुरुआत हो गई। परंपरा के अनुसार व्रतियों ने न केवल अपने परिवारजनों को बल्कि आस-पड़ोस और गोतिया भाइयों को भी प्रसाद का भोजन कराया।
घर-घर में अब “केलवा जे फरेला घवद से ओ छठी मइया” जैसे पारंपरिक गीत गूंजने लगे हैं। पूरा वातावरण भक्ति और लोक संगीत से सराबोर है। इस बीच गांवों, घाटों, तालाबों और नदी किनारों की सफाई लगभग पूरी कर ली गई है। प्रशासन और स्थानीय समितियों द्वारा सजावट, रोशनी और सुरक्षा व्यवस्था की विशेष तैयारी की गई है। बाजारों में भी छठ की रौनक छा गई है। फल, नारियल, केला, सेव, सिंघाड़ा, गन्ना, अदरक और पूजा सामग्री की खरीदारी के लिए लोग सुबह से ही बाजारों में उमड़ पड़े। कान्हाचट्टी, सदर बाजार, गिद्धौर, इटखोरी और सिमरिया जैसे प्रमुख हाट-बाजारों में भारी भीड़ देखी जा रही है।
रविवार को व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखेंगे और शाम में खरना के अवसर पर गुड़, दूध और चावल से बनी खीर का प्रसाद तैयार करेंगे। व्रती पहले सूर्यदेव की पूजा-अर्चना कर प्रसाद अर्पित करेंगे, उसके बाद परिवार व पड़ोसियों के साथ इसे ग्रहण करेंगे। सोमवार को व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य और मंगलवार की भोर में उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य अर्पित कर व्रत का समापन करेंगे।
प्रशासन ने छठ को लेकर सुरक्षा और स्वच्छता के पुख्ता इंतजाम किए हैं। घाटों पर अस्थायी प्रकाश व्यवस्था, गोताखोरों की तैनाती और मेडिकल टीम की व्यवस्था की गई है। महिलाएं पूजा सामग्री की सजावट में जुटी हैं और घर-घर में प्रसाद बनाने की तैयारी जोरों पर है। चार दिनों तक चलने वाला यह पर्व न केवल आस्था और पवित्रता का प्रतीक है, बल्कि यह सूर्य उपासना और पारिवारिक एकता का महोत्सव भी है।
