*चतरा ( संजीत मिश्रा )* । जिले में वर्तमान में पदस्थापित भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रमेश घोलप अपनी ऊर्जा, दूरदृष्टि और कठिन चुनौतियों से जूझने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं। उनकी पहचान एक सटीक निर्णय लेने वाले, मिलनसार और जनता की समस्याओं को गहराई से समझने वाले अधिकारी के रूप में जानी जाती है। कार्यालय में आने वाले हर आगंतुक और कर्मचारी की समस्याओं को सुनना और समाधान देना उनके स्वभाव में शामिल है।
रमेश घोलप भारतीय प्रशासनिक सेवा के उन दुर्लभ अधिकारियों में से हैं जो न केवल जनता के हितों के लिए बल्कि राष्ट्र , राज्य और समाज की उन्नति के लिए भी पूरे जोश और समर्पण के साथ काम करते हैं। उनका प्राथमिक उद्देश्य जिले का समग्र विकास, समाज की सेवा और वंचित तबकों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना है।
उनकी आईएएस बनने की यात्रा युवाओं के लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से अपने संघर्षों को साझा किया है, जो कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुका है। उन्होंने लिखा है, “ऊंचाइयों को छूने के लिए किसी की बातों की परवाह किए बिना अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहिए। सफलता अवश्य मिलेगी।”
रमेश घोलप ने जब 2010 में सरकारी शिक्षक की नौकरी छोड़कर सिविल सेवा की तैयारी शुरू की। उस समय लोगों ने उनकी आलोचना करते हुए कहा था, “यह पागल हो गया है। रहने के लिए घर नहीं है, मां चूड़ियां बेचती हैं, और इसने सरकारी नौकरी छोड़ दी।” लेकिन 2012 में जब वह आईएएस बने, तो वही लोग उनकी हिम्मत और आत्मविश्वास की तारीफ करने लगे।
*“कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो।”*
यह मशहूर पंक्ति उस जुनून, जज्बे और दृढ़ निश्चय को बखूबी दर्शाती है, जो उपायुक्त रमेश घोलप के जीवन पर सटीक बैठती है। हर मुश्किल को पार करते हुए और असंभव को संभव बनाते हुए, उन्होंने आईएएस बनने का सफर तय किया। उनका प्रेरणादायक जीवन संघर्ष और असफलताओं के बावजूद लक्ष्य की ओर बढ़ते रहने का उदाहरण प्रस्तुत करता है। यही कारण है कि वे आज समाज में बदलाव और प्रेरणा का प्रतीक बन गए हैं। उनकी कहानी यह सिखाती है कि इतिहास रचने वाले वे ही होते हैं, जो कठिनाइयों का सामना करते हुए भी अपने सपनों को पूरा करने के लिए लगातार प्रयास करते रहते हैं।
चतरा में उनके पदस्थापन के बाद से जिले में कई प्रशासनिक और विकासात्मक बदलाव देखे गए हैं। उन्होंने गरीबों के उत्थान ( बिरहोर समाज ) और नशा मुक्त अभियान के तहत कई ठोस कदम उठाए। जिले के सभी प्रखंडों में मूलभूत सुविधाओं को बहाल करने, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने और गरीबों के उत्थान के लिए उन्होंने कई योजनाओं को लागू किया।
जनता की समस्याओं के शीघ्र समाधान के लिए वे नियमित रूप से जनता दरबार लगाते हैं, जहां लोगों की शिकायतों का त्वरित निवारण किया जाता है। इससे सरकारी कार्यों में पारदर्शिता बढ़ी है और आम जनता का प्रशासन में विश्वास मजबूत हुआ है।
उन्होंने चतरा जिले में पदभार संभालते ही विकास कार्यों को तेज गति प्रदान की। उनके प्रयासों से सड़कों की मरम्मत, पेयजल आपूर्ति में सुधार, साफ-सफाई, बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से 100 से अधिक स्कूलों में अतिरिक्त कक्षाओं (एडिशनल क्लासरूम) का भेजा गया है प्रस्ताव , कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में स्मार्ट किचन की व्यवस्था , साथ ही, ओपन जिम, खेल किट (स्पोर्ट्स किट), और शुद्ध पेयजल के लिए अधिकांश स्कूलों में फिल्टर की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। वही जिले में नशे के शिकार युवाओं को पुनर्वास हेतु नशा मुक्ति काउंसलिंग के साथ मुफ्त इलाज की व्यवस्था , इसके अतिरिक्त, लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनाव को स्वच्छ व शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न कराया तथा “सरकार आपके द्वार” कार्यक्रम के अंतर्गत, अति नक्सल प्रभावित गांवों में उपायुक्त ने कैम्प लगाकर सरकार की योजनाओं लाभ दिया गया । जानकर यह आश्चर्य होगा कि इन क्षेत्रों में पहले कभी भी जिला प्रशासन की टीम नहीं पहुंच पाई थी। उपायुक्त के सार्थक पहल के पश्चात शहर में प्रकाश व्यवस्था सुनिश्चित करने जैसे कार्य प्राथमिकता से किए गए। स्वास्थ्य, शिक्षा और पेयजल विभागों की कार्यशैली में सुधार लाने के लिए उन्होंने लगातार निरीक्षण और समीक्षा की।
उपायुक्त रमेश घोलप ने भ्रष्टाचार और गंदगी के खिलाफ एक व्यापक अभियान शुरू किया, जिसमें दोषी पाए गए कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई। उनका मानना है कि योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए प्रशासन की प्रतिबद्धता सबसे जरूरी है। रमेश घोलप की कड़ी मेहनत और दूरदृष्टि के कारण चतरा जिले का विकास तेजी से हो रहा है। उनकी प्रशासनिक कार्यशैली और समर्पण ने जिले के लोगों को न केवल प्रेरित किया है बल्कि यह भरोसा भी दिलाया है कि एक सकारात्मक बदलाव संभव है ।
वैसे युवा जो लक्ष्य में असफल रहे है । उन्हें प्रेरणा स्रोत सलाह दी है जो इस प्रकार है , …….
1. सीखने का दृष्टिकोण अपनाएं: असफलता यह बताती है कि किन क्षेत्रों में सुधार की जरूरत है। इससे हमें अपनी कमजोरियों को पहचानने और अपनी रणनीति को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। असफलता को सकारात्मक रूप में देखे।
2. धैर्य बनाए रखें: सफलता एक प्रक्रिया है, जो समय और मेहनत मांगती है। असफलता हमें धैर्य और संयम सिखाती है।
3. आत्मविश्वास बनाए रखें: असफलता का यह मतलब नहीं है कि आप अयोग्य हैं। खुद पर विश्वास रखें और अगले प्रयास में और भी अधिक मेहनत करें।
4. लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करें: असफलता के बाद भी अपने उद्देश्य को न भूलें। छोटे कदमों से बड़े लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
5. सकारात्मक सोच अपनाएं: असफलता का मतलब है कि आप कुछ नया करने की कोशिश कर रहे हैं। यह रुकने का नहीं, बल्कि दुगने जोश के साथ आगे बढ़ने का समय है।
याद रखें, इतिहास में जितने भी महान लोग सफल हुए हैं, वे सभी कभी न कभी असफल हुए हैं। उनकी सफलता का आधार उनकी असफलताओं से मिली सीख और दृढ़ संकल्प था। उपायुक्त के द्वारा बताए गए इन प्रेरणा स्रोत बातों को जीवन में आपनाने वालें युवाओं को सफलता कदम चूमेगी ।