*उच्च अधिकारियों के आदेश का पालन नही करने का स्वास्थ्य विभाग के सिविल सर्जन , प्रभारी चिकित्सा पदधिकारी और टास्क फोर्स कमिटी की पड़ गई है आदत ।।*
राष्ट्रीय शान
चतरा । सरकार द्वारा गर्भपात को रोकने तथा लोगों की जान की सुरक्षा के लिए अवैध नर्सिंग होम के विरुद्ध करवाई करने का आदेश दिए जाने के बावजूद सिविल सर्जन , प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी और टास्क फोर्स कमिटी के मनमानी के चलते आदेश मजाक बन गया है। वही उच्चाधिकारियों के सख्त अंदाज व लगातार कार्यवाही के आदेश को नजर अंदाज करते आ रहे है । जिसका अनुचित लाभ गर्भपात करने तथा मरीजों के जान के साथ खिलवाड़ करने वाले को मिल रहा है । सूत्रों की माने तो आदेश का पालन नहीं करने के पीछे राजनीतिक पैरवी ओर पहुंच बताया जा रहा है ।
जिला मुख्यालय में अवैध नर्सिंग होम कुकुरमुत्ते की तरह फैले होने के बाद भी सिविल सर्जन , प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी और स्वास्थ्य टास्क फोर्स कमिटी अपनी आँख पूरी तरह से बंद कर लिया है । उच्च अधिकारी के द्वारा कार्यवाही के लिए दर्जनों निर्गत आदेश पत्र के बावजूद झोलाछाप डाक्टरों को सम्बंधित अधिकारी सपोर्ट कर रहे है । अगर झोलाछाप डाक्टरों को सिविल सर्जन और संबंधित अधिकारियों का सपोर्ट नही है तो उपायुक्त , राज्य निदेशक और सरकार के उप सचिव के द्वारा दिये गए दर्जनों आदेश के बाद भी क्यो झोलाछाप डाक्टरों के ऊपर कार्यवाही नही कर रहे है । आपको बता दे कि सिविल सर्जन जगदीश प्रसाद अपना बचाव करते हुए सिर्फ प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी व टास्क फोर्स के नाम कार्यवाही के लिए पत्र निर्गत कर अपना पल्ला झाड़ते आ रहे है । अब देखना दिलचस्प है कि आगे उच्च अधिकारी ऐसे अधिकारियों के विरुद्ध क्या ठोस कदम उठाते है या फिर राजनीतिक पैरवी – पहुंच के कारण यह खेल आगे भी चलता रहता है ।