स्वास्थ्य विभाग से लेकर टास्क फोर्स करवाई के बजाय मेहरबान
सिर्फ पत्र निर्गत करने का चलता रहा खेल ,क्या विभाग के साथ मजबूत रहा मेल
राष्ट्रीय शान
चतरा । जिले में स्वास्थ्य विभाग से लेकर टास्क फोर्स कमिटी के द्वारा एक नर्सिग होम पर करवाई के नाम पर पिछले दो माह से गजब की मेहरबानी किया गया है । अब इन पत्रों के माध्यम से समझे कि विभाग करवाई के लिए कई सारे पत्र निर्गत करती है पर बड़ी करवाई पर परिणाम पुनः मुसको भवः वाली कहावत चरितार्थ किया गया है ।
पत्रांक 653 दिनांक 04/11/2023 में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी पंकज कुमार ने लिखा कि पत्रांक 1638 दिनांक 03/10/2023 एवं पत्रांक 1790 दिनांक 03/11/2023 के द्वारा एमएस सेवा सदन न्यू पुलिस लाइन चतरा को प्रखण्ड टास्क फोर्स से सहयोग से सील करने का निर्देश प्राप्त है । पत्रांक 389 दिनांक 09/10/2023 एवं कार्यालय के पत्रांक 640 दिनांक 02/11/2023 के द्वारा प्रखण्ड टास्क फोर्स के सदस्य थाना प्रभारी सदर चतरा के द्वारा सील करने हेतु मजिस्ट्रेट की मांग की गई । पर वर्तमान अंचलाधिकारी ( मजिस्ट्रेट ) ने कहा कि मुझे अनुमंडल पदाधिकारी से कोई आदेश प्राप्त नहीं है । मैंने भवदीय के कार्यालय के पत्रांक 1790 दिनांक 03/11/2023 एवं पत्रांक 1636 दिनांक 06/10/2023 कि ओर ध्यान आकृष्ट कराया एवं बताया कि उपायुक्त द्वारा प्रखण्ड स्तरीय टास्क फोर्स का गठन आदेश प्रति मांग की गई है । उसके बाद ही अंचलाधिकारी सदर थाना में सील करने में सहयोग करने की बात कही ।
अब आप सभी को इतने सारे निर्गत पत्र से समझमें आ ही गया होगा कि टास्क फोर्स की भूमिका संचालित अवैध नर्सिंग होम के विरुद्ध करवाई के प्रति कितना कारगर साबित है ।
अब आगे का भी खेल जानिए …….
सील कि प्रक्रिया नहीं करने के बजाय एमएस सेवा सदन के संचालक के आगे टास्क फोर्स से लेकर स्वास्थ्य महकमा का रुख बदल गया और फिर स्वास्थ्य विभाग का जिले के सबसे बड़े अधिकारी जिन्होंने सील करने का आदेश दिया है उन्होंने ही सील करने के बजाय एमएस सेवा सदन नर्सिंग होम संचालक को क्लीनिकल एस्टैलिशमेंट एक्ट का उल्लंघन करने का आरोप में धारा -40 के अंतर्गत दस हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए क्लीनिकल एस्टैलिशमेंट एक्ट में सुधार के लिए दो सप्ताह का समय दे दिया है । हालांकि यह तिथि 16 दिसम्बर को समाप्त हो जाएगा पर यह लेटर मिलते ही पहले कि तरह नर्सिंग होम संचालित है ।
बहरहाल इन सभी पत्रों के आदेश और नर्सिंग होम के विरुद्ध करवाई से आप समझ ही गये होंगे कि किस हद तक प्रशासन बचाने का काम खुद ही करती है और दोष हमेशा आम जनमानस या पत्रकारों को दिया जाता है ।
धारा – 40 क्या है
धारा 40 से पता चलता है कि यदि प्रावधानों के किसी भी उल्लंघन के लिए क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट में कोई दंड नहीं दिया गया है, तो अपराध 10,000 रुपये के जुर्माने से दंडनीय है। किसी भी सेकंड के लिए, यह 50,000 रुपये तक बढ़ सकता है और किसी भी बाद के अपराध के परिणामस्वरूप जुर्माना 5,00,000 रुपये तक बढ़ सकता है।