क्या घूस की राशि में ऊपर तक बंट रहा है बराबर हिस्सा ??
उपायुक्त को गुमराह करने की साजिश – कभी भी हो सकती है ACB या ईडी की धमक ।।
चतरा(संजीत मिश्रा) । जिले के कई प्रखंडों में आवास योजना के घोटाले की परत-दर-परत सच्चाई उजागर हो चुकी है। पुख्ता साक्ष्य, ग्रामीणों के बयान और लगातार प्रकाशित रिपोर्टों ने घोटाले की तस्वीर साफ कर दी है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि दोषियों पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हो रही ? सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि डीआरडीए की निदेशक अलका कुमारी की हंटरगंज प्रखण्ड के करैलीबार पंचायत में आवास योजना और प्रतापपुर प्रखंड के सिद्दकी पंचायत में मनरेगा (तालाब ) जांच रिपोर्ट को दरकिनार कर दिया गया। इसके बजाय हंटरगंज के अधीनस्थ बीडीओ की रिपोर्ट पर जवाब तलब किया गया। जबकि नियम साफ कहता है कि वरिष्ठ अधिकारी की जांच रिपोर्ट के बाद अधीनस्थ की रिपोर्ट को मान्य नहीं किया जा सकता। यह प्रशासनिक व्यवस्था पर ही बड़ा सवाल है। यही वजह है कि दोषियों के चेहरे पर शिकन तक नहीं दिख रही। मानो उन्हें भरोसा हो कि ऊपर से बचाव की गारंटी मिल चुकी है।
सन 1991 में जिला बनने के बाद लोगों ने सोचा था कि डीएम, एसएसपी और आला अफसरों की मौजूदगी से विकास की राह आसान होगी। लेकिन तीन दशक बाद भी कई इलाकों में हालात जस के तस हैं। समस्याओं का अंबार, पारदर्शिता की कमी और भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें यही पहचान बन चुकी है। जनता को सिर्फ़ झूठे वादों और छलावे के सिवा कुछ नहीं मिला।
चुनिंदा अफसर बनाम भ्रष्ट नेटवर्क
आज जिले में उपायुक्त समेत कुछ गिने-चुने अधिकारी ही ईमानदारी और सकारात्मक सोच के साथ काम कर रहे हैं। लेकिन उनकी मेहनत को अधीनस्थ अधिकारी, कर्मचारी और भ्रष्ट नेटवर्क लगातार पलीता लगा रहे हैं। विकास योजनाओं में कमीशनखोरी, घूस, नियम विरुद्ध कार्य, सरकारी कागजों से छेड़छाड़ और जालसाजी खुलेआम चरम पर है। उपायुक्त कीर्तिश्री इन चुनौतियों का सामना कैसे करेंगी और सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक कैसे पहुँचेगा , यह दिलचस्प सवाल है ।
गरीबों का हक़ लूटने का हथियार बनी आवास योजना…
आवास योजना गरीबों के लिए आशियाना देने की योजना थी। लेकिन जिले में यह भ्रष्टाचारियों का मुनाफे का धंधा बन चुकी है। गरीबों का हक़ छिना जा रहा है और दोषी प्रशासनिक सुरक्षा कवच में बचे बैठे हैं।