बारिश में ‘कागज़ी काम’, खुलेआम उड़ रही सरकारी आदेशों की धज्जियां ।।
कई पंचायतों में पहले भी जांच में मिली है भारी गड़बड़ियां पर करवाई के बजाय कौन दे रहा है संरक्षण ।।
चतरा (संजीत मिश्रा)। झारखंड के चतरा जिले में मनरेगा योजना अब रोजगार की नहीं, लूट की स्कीम बनकर रह गई है। सरकारी आदेशों को ताक पर रखकर मूसलधार बारिश के बीच कागजों पर फर्जी काम दिखा लाखों की सरकारी राशि की निकासी कर ली गई है।
जिला प्रशासन की स्पष्ट चेतावनी और आदेश के बावजूद बेलखोरी पंचायत (मयूरहंड प्रखंड) में 16 और 17 जून 2025 को तेज बारिश के दौरान मस्टर रोल भरे गए और कार्य दिखाकर मनरेगा फंड से पैसा निकाल लिया गया।
यह उस जिले की हकीकत है, जहां कार्यालय कर्मियों से लेकर कम्प्यूटर ऑपरेटर तक, नियमों की धज्जियां उड़ाना रोजमर्रा की आदत बन चुकी है। एलआरडीसी कार्यालय, प्रखंड कार्यालय, अंचल कार्यालय और अभिलेखागार से लेकर कई कार्यालयों में हर जगह सरकारी आदेशों का मज़ाक उड़ता दिख रहा है। इस जिले मानो वरीय अधिकारी का डर ही नहीं है तभी तो प्रतापपुर जिले में दूसरे राज्यों के लोगों का जन्म प्रमाण पत्र हजारों की संख्या में बना दिया गया । एक ही जमीन का दो रजिस्टर टू व खतियान बना दिया गया इसके अलावे कई ऐसे कार्य किये गए है जिसे जानकर हैरान रह जाएंगे । स्कूल के जमीन को कर्मचारी के द्वारा निजी जमाबंदी कर दिया गया । लोग उपायुक्त से न्याय की आस लगाए बैठे है कि दोषियों के विरुद्ध सख्त से सख्त करवाई किया जाएगा पर करवाई की फाइलें आज भी दबी हुई है ।
जिला कार्यक्रम समन्वयक का स्पष्ट आदेश था , 15 जून के बाद कोई भी कच्चा कार्य न कराया जाए……
उप विकास आयुक्त-सह-अतिरिक्त जिला कार्यक्रम समन्वयक, चतरा ने पत्रांक 375/मनरेगा, दिनांक 11 जून 2025 को निर्देश जारी किया था कि 15 जून के बाद किसी भी कच्ची योजना पर कार्य नहीं हो और न ही MR (मस्टर रोल) जनरेट किया जाए।इसके बावजूद बेलखोरी पंचायत में ECB योजना का फर्जी क्रियान्वयन कर सरकारी राशि की निकासी की गई। ऑनलाइन रिकॉर्ड के अनुसार, 24 जून 2025 को ECB की 43 योजनाओं में फंड निकाला गया।
कौन दे रहा संरक्षण? किसकी शह पर चल रहा यह खेल??
जब पूरे जिले में कार्य पर रोक थी, तब सिर्फ बेलखोरी पंचायत में मस्टर रोल कैसे भर दिए गए? क्या यह विभागीय मिलीभगत नहीं है? क्या यह सिर्फ शुरुआत है या पूरे जिले में इसी पैटर्न पर खेल खेला गया? ये सारे सवाल जिला प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं।
सरकार की मंशा बनाम जमीनी हकीकत….
मनरेगा निदेशालय का निर्देश है कि मानसून सीजन में कच्ची योजनाएं प्रतिबंधित रहें और केवल बिरसा हरित ग्राम योजना, दीदी बाड़ी योजना जैसी स्वीकृत योजनाओं को प्राथमिकता दी जाए। लेकिन बेलखोरी पंचायत में इन आदेशों की सरेआम अवहेलना कर लूट का खेल खेला गया।
मनरेगा योजना गरीबों की रोज़ी-रोटी की गारंटी है या अफसर-ठेकेदारों की मिलीभगत से सरकारी खजाना लूटने का ज़रिया बन चुकी है?
क्या जिला प्रशासन बेलखोरी के इस घोटाले पर कार्रवाई करेगा या इसे भी फाइलों में दफना दिया जाएगा?
जनता सवाल पूछ रही है “मनरेगा में रोजगार है या सिर्फ भ्रष्टाचार?”