टंडवा थाना क्षेत्र में फल-फूल रहा अफीम और कत्थे का काला कारोबार…..

वन विभाग ने कत्था बनाने के कई उपकरणों को किया बरामद,टंडवा-बालूमाथ के सीमावर्ती इलाके में लहलहा अफीम का फसल , तस्कर

जिलेवासियों से एसपी ने अपील की है कि खेती एवं तस्करी करने वालों के खिलाफ मुखर हो कर विरोध करें या पुलिस की जुप्त रूप से जानकारी दें । 

चतरा/टंडवा: जिले के टंडवा थाना क्षेत्र के सीमावर्ती इलाके में सफेद जहर फल-फूल रहा है। जिसकी भनक तक स्थानीय पुलिस प्रशासन को नहीं है। बताया गया कि बड़े पैमाने पर अफीम की खेती मारंगलोईया के समीप की गई है। अफीम में अब फूल भी आ चुका है बस अब चंद दिन ही बाकी हैं जब इसमें से नशे की खुराक निकालने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। पर अब तक पुलिस प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं है। मारंगलोईया जाने वाली मुख्य मार्ग से चन्द कदमों की दूरी पर सफेद जहर यानि अफीम की खेती लहलहा रही है। जिस पर आज तक स्थानीय चौकीदार ,जनप्रतिनिधि , वन कर्मी तथा अन्य किसी की नजर नहीं पड़ी है। जानकारों की माने तो इस नशीले अफीम की खेती में माफियाओं का बड़ा रैकेट काम करता है। माफिया ऊपर से लेकर नीचे तक सिस्टम को मैनेज करने का दावा करते हैं। अब देखना यह है कि पुलिस मामले में क्या कार्रवाई करती है या इस इलाके में अफीम के साथ-साथ कत्था बनाने का भी कार्य बड़े स्तर पर चोरी चुपके चलता रहता है। हालांकि कत्था तस्करों के विरुद्ध लगातार तीसरी बार वन विभाग की टीम ने कार्रवाई की है पर उनके हाथ सिर्फ कत्था बनाने में प्रयुक्त बर्तन ही हाथ लग पाया है । जानकारों की माने तो वन‌ विभाग के पहुंचने से पहले माफियाओं तक जानकारी पहुंच जाती है। जिससे वे बड़े आराम से अपने निर्मित कत्थे को ठिकाना लगाने के साथ-साथ खुद भी छुप जाते हैं।

टंडवा रेंजर को मिली गुप्त सूचना के आधार पर मरंगलौइया जंगल में शनिवार को छापेमारी अभियान चलाकर वन विभाग की टीम ने अवैध कत्था फैक्ट्री को ध्वस्त किया है। मौके से विभाग की टीम ने लगभग 50 किलो तैयार गिला कत्था के साथ कत्था बनाने में प्रयुक्त डेकची व अन्य बर्तन जब्त किया है। जंगल का लाभ उठाकर तस्कर भागने मे सफल रहे। रेंजर प्रकाश मुक्ति पन्ना ने बताया कि गुप्त सूचना मिली थी कि जिले में सक्रिय कत्था तस्कर वन विभाग की टीम की आंखों में धूल झोंक कर जंगल में अवैध फैक्ट्री का संचालन कर रहे हैं। इसी सूचना पर त्वरित कार्रवाई करते हुए जंगल में अभियान चलाया गया। उन्होंने बताया कि मौके पर ही तस्करों के बनाए गए चूल्हे और अन्य सामान को ध्वस्त कर दिया गया है। वहीं तैयार कत्था और उसे बनाने में प्रयुक्त बर्तन व अन्य सामान जब्त कर वन विभाग कार्यालय ले आया गया। बताया गया जंगल का लाभ उठाकर भागने वाले को पहचान की कोशिश की जा रही है। पहचान होते ही उनके खिलाफ वन अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। अभियान में वनपाल सुनील कुमार लालटू यादव, मुरारी प्रजापति सहित अन्य शामिल थे।

नब्बे के दशक में चतरा जिले में भाकपा माओवादिओं के बढ़ते हुए सक्रियता को देखते हुए उसके खात्मे के लिए पुलिस द्वारा तैयार किए गए टीपीसी (तृतीये प्रस्तुती कमेटी) नक्सली संगठन अब पुलिस के साथ-साथ स्थानीय लोगो के लिए नासूर बनता जा रहा है । नक्सली संगठन अपनी ताकत बढ़ाने के लिए अफीम की खेती अपने अपने संरक्षण में करवा रहे है । अफीम के लिए विख्यात चतरा कभी कत्था कारोबार के लिए विख्यात था । नब्बे के दशक में चतरा जिला कत्था का कारोबार के लिए जाना जाता था । जिस तरह कत्था बनाने का उपकरण बरामद किया जा रहा है उससे यह साफ प्रतीत होता है की कत्था कारोबारी की सक्रियता क्षेत्र मे ब्याप्त है और इतिहास को फिर से दुहराया जा रहा है । यह कहना गलत नहींन होगा की अफीम ओर कत्था दोनों का कारोबार चतरा मे फल -फूल रहा है । चतरा के नए एसपी विकास पाण्डेय एन चुनौतियों से निपटने के लिए रणनीति बनाना शुरू कर दिया है । जिसका परिणाम कुछ दिनों मे देखने को मिल सकती है ।

पुलिस अधीक्षक विकास पाण्डेय किसी भी परिस्थिति में अफीम की खेती का उन्मूलन चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने एक वृहत रणनीति तैयार कर रहे है। साथ ही साथ नार्कोटिक्स टीम को और गतिशील किया जाएगा। जीपीएस ट्रैकिंग , ड्रोन के संचालन को लेकर जिला बल के जवानों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि अफीम की खेती को किसी भी परिस्थिति में रोका जाएगा। एसपी ने कहा कि पोस्ता की खेती और अफीम व ब्राउन शुगर की तस्करी दंडनीय अपराध के साथ-साथ उसका सामाजिक स्तर पर भी कुप्रभाव पड़ते हैं इससे बचना होगा। उन्होंने जिलेवासियों से अपील करते हुए कहा कि खेती एवं तस्करी करने वालों के खिलाफ मुखर हो कर विरोध करें। 

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