एक वरिष्ठ अधिकारी के इशारे पर आनन-फानन प्लास्टर से पूरा दिखाया गया आवास, कई प्रखंडों में दोषियों को बचाने का खेल जारी।।

आवास घोटाले पर बड़ा सवाल : डीआरडीए निदेशक की जांच रिपोर्ट को ही बीडीओ ने बताया गलत ।।

चतरा में भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने की कोशिश या अधिकारियों की खुली बगावत??

डीआरडीए बनाम बीडीओ : दो रिपोर्टों में जमीन-आसमान का अंतर …

चतरा(संजीत मिश्रा) । चतरा एक ऐसा जिला बन गया है जहां नियम, कानून, वरीयता और जांच रिपोर्ट की कोई कीमत नहीं रह गई है। कुछ रुपयों की खातिर सबकुछ दरकिनार कर दिया जाता है। यह बात 100% सच साबित हो रही है। आवास योजना से जुड़ी ख़बरें आप लगातार पढ़ रहे हैं—कैसे यह योजना गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है। गरीब का घर अधिकारी , मुखिया और कर्मियों के लिए रुपया कमाने का हथियार बना हुआ है । स्थिति इतनी गंभीर है कि इस भ्रष्ट अधिकारी , जनप्रतिनिधी और कर्मियों को बचाने के लिए वरीय अधिकारी द्वारा की गई जांच रिपोर्ट तक को अधीनस्त अधिकारी के द्वारा झुठलाया जा रहा है। सबसे अचंभित करने वाली बात यह है कि उस रिपोर्ट के आधार पर DRDA डारेक्टर से ही जवाब मांगा गया है।

साक्ष्य होने के बावजूद रिपोर्ट झुठलाई….

चौंकाने वाली बात यह है कि जांच रिपोर्ट में लाभुक के साथ DRDA डारेक्टर का GPS फोटो तक मौजूद है, फिर भी अधीनस्थ अधिकारी उसी रिपोर्ट को झूठा बता रहे हैं। सवाल यह उठता है कि जब साक्ष्य स्पष्ट हैं तो फिर सच्चाई को दबाने की कोशिश क्यों?

सूत्रों के अनुसार, निदेशक की जांच के बाद आनन-फानन में कई अपूर्ण आवासों पर केवल प्लास्टर चढ़वाकर और कोरोगेट शीट लगवाकर वरिष्ठ अधिकारी के इशारे पर सबकुछ सही दिखाने का खेल खेला गया। जबकि साफ स्पस्ट है कि नियमानुसार आवास निर्माण नहीं है । यदि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच उपायुक्त कीर्ति श्री के द्वारा या ACB से कराई जाए, तो आवास योजना में गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे अधिकारियों और कर्मियों का असली चेहरा सामने आ जाएगा।

निदेशक की रिपोर्ट , फर्जी निकासी और अधूरा निर्माण….

यह सच है कि आवास योजना में कई लाभुकों का पैसा फर्जी तरीके से निकाला गया है । तथा एक ही लाभुक को दो-दो आवास योजना का लाभ दिया गया है । इसके बावजूद दोषियों के विरुद्ध अब तक करवाई के बजाय स्पस्टीकरण को ढाल बनाकर बचाने का कार्य किया जा रहा है । डीआरडीए निदेशक की जांच रिपोर्ट में साफ-साफ उल्लेख है कि हंटरगंज प्रखंड के करैलीवार पंचायत अंतर्गत मुंगवाडाहा और करैलीबार गांवों में आवास योजना में गड़बड़ी की गई है।

लाभुक चिनिया देवी का आवास मिट्टी और ईंट की जुगाड़ से बना है, जबकि खाता में पूरी राशि ट्रांसफर हुई । लाभुक दागी भुईया का मकान अंदर से ईंट का है, लेकिन बाहर मिट्टी से पलास्टर कर दिखाया गया। लाभुक दुखु भारती के नाम पर भी भुगतान में गड़बड़ी सामने आई।

सकुन्ति देवी पति- बिनोद भुईयां : लाभुक घर पर नहीं था। पत्नी का आरोप है कि मुखिया ने पूरा पैसा लेकर अपने घर का निर्माण करा लिया। लाभुक आज भी कच्चे मकान में रह रहा है।

सोनवा देवी : खाता और आधार से भुगतान सही बताया गया, लेकिन लाभुक की मृत्यु हो चुकी है और उसकी बेटी बाहर मजदूरी करने गई है।

स्पष्ट है कि जांच में गड़बड़ियों और फर्जी निकासी की पुष्टि हुई।

बीडीओ ने दी उलटी रिपोर्ट

इसके उलट, प्रखण्ड विकास पदाधिकारी, हंटरगंज ने अपनी रिपोर्ट में सबकुछ सही बता दिया। बीडीओ ने लाभुकों के आधार और बैंक खातों की जांच कर यह प्रतिवेदन दिया कि भुगतान सही खाता में हुआ है और मकान का निर्माण कोरोगेट शीट व पलास्टर के साथ पूर्ण है।

यानी निदेशक की रिपोर्ट और बीडीओ की रिपोर्ट में जमीन-आसमान का अंतर है।

बीडीओ की रिपोर्ट : सबकुछ सही बताया….

निदेशक की जांच रिपोर्ट को नकारते हुए हंटरगंज बीडीओ ने अपनी जांच में लिखा कि सभी भुगतान सही खाते में हुए हैं। मकान पूर्ण हैं और कोरोगेट शीट व पलास्टर लगे हैं। कुछ मामलों में लाभुक स्वयं पुराने और नए दोनों घरों में रह रहे हैं।

प्रशासन की कार्यशैली पर उठे सवाल…..

सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब जांच रिपोर्ट पहले ही निदेशक स्तर से जमा हो चुकी थी, तो फिर अधीनस्थ अधिकारी ने अलग से जांच कर उसके निष्कर्षों को नकारने की हिम्मत कैसे की? क्या यह भ्रष्टाचार को बचाने की कोशिश है, या फिर जिला प्रशासन के भीतर ही नियम-कानून को ठेंगा दिखाने की परंपरा बन चुकी है?

चौंकाने वाली बात यह भी है कि कई प्रखंडों में आवास घोटाले के मामले आए, लेकिन दोषियों को बचाने का काम किया गया। और जब एक वरीय अधिकारी निष्पक्ष जांच रिपोर्ट दी तो उनके विरुद्ध ही षड्यंत्र रचा गया, तो आप समझ सकते हैं कि जिले में किस तरह का खेल चल रहा है। अब देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में उपायुक्त के द्वारा क्या करवाई किया जाता है ।

बने रहिये राष्ट्रीय शान के साथ जल्द ही कई और भी अहम खुलासे किए जाएंगे …..

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