गलत तरीके से चलाया जा रहा है ममता वाहन , MOU हुए दो साल हो गया , जबकि हर वर्ष होता है MOU : सिविल सर्जन
चतरा । संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने से लेकर गर्भवती महिला, धातृ महिलाओं समेत मातृ एवं शिशु मृत्युदर में कमी लाने व ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था लागू करने की व्यवस्था के तहत सरकार द्वारा शुरू की गई ममता वाहन योजना में गड़बड़ी कोई और नहीं बल्कि सरकार के नौकरशाह ही कर रहे है । इस बात की जानकारी सिविल सर्जन जगदीश प्रसाद को है । बावजूद ठोक करवाई नहीं किया जा रहा है ।
सिविल सर्जन का कहना है कि चतरा जिले में ममता वाहन का MOU कराये दो साल हो गया है और चल रहा है जबकि एक साल में MOU कराना है । बावजूद प्रभारी के मनमाने रवैये से ममता वाहन चल रहा है ।उन्होंने यह भी बताया कि नाजायज किराया भी लिया जा रहा है । एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि ममता वाहन को गर्भवती महिला को लेकर हंटरगंज से चतरा आना है पर लेकर चला जा रहा है गया और राशि की भुगतान चतरा अस्पताल के नाम पर किया जा रहा है । सिविल सर्जन के इस बयान से ममता वाहन परिचालन में बड़े घोटाले की बू आ रही है । पर इस मामले को सरकार व वरीय पदाधिकारी कितनी गंभीरता से लेते है यह आने वाला वक्त ही बताएगा ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले जनवरी 2023 से लेकर 2023 अक्टूबर माह तक यानी 10 माह में 18423 ( ट्रीप ) ममता वाहन से सिर्फ गर्भवती महिला, धातृ महिलाओं समेत मातृ एवं शिशु को अस्पताल तक लाने का कार्य किया गया है । जबकि 12844 ममता वाहन अस्पताल से घर तक गर्भवती महिला, धातृ महिलाओं समेत मातृ एवं शिशु को पहुंचाने का काम किया गया है । अब इस आंकड़ा से समझ सकते है कि सरकारी अस्पताल , स्वास्थ्य उपकेन्द्र तथा स्वास्थ्य केन्द्र पर काफी बेहतर सुविधा गर्भवती महिला, धातृ महिलाओं समेत मातृ एवं शिशु के लिए किया गया है । पर जमीनी हकीकत क्या है यह किसी से छुपा भी नहीं है । हालांकि इन मामलों में परत दर परत खुल सके । केन्द्रीय जांच एजेंसियों को चतरा में एक बार दस्तक देनी चाहिए ताकि विभाग की गड़बड़ियां उजागर हो सके ।
सूत्र बताते हैं कि प्रसव गृह से गर्भवती महिला को रेफर करने का खेल चल रहा है। प्रसव कराने आई गर्भवती महिला को विशेष परेशानी होने अथवा जटिल समस्या होने पर ही रेफर किया जाना है, लेकिन प्रसव कक्ष में तैनात कुछ स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा प्रसव कराने आई महिलाओं को ममता वाहन संचालक की मिलीभगत से रेफर किया जाता है। इसमें रेफर की गयी महिला को ममता वाहन संचालक अथवा स्वास्थ्य कर्मी अपने तयशुदा नर्सिग होम भेजते हैं। नर्सिग होम में इनका कमीशन तय है। नर्सिग होम के संचालक इन्हें सामान्य प्रसव होने पर दो हजार से चार हजार रुपये एवं शल्य क्रिया द्वारा प्रसव होने पर तीन से लेकर पांच हजार रुपये का कमीशन देते हैं। इसमें ममता वाहन संचालक, प्रसवगृह में तैनात स्वास्थ्य कर्मी तक में बड़े ही सुनियोजित तरीके से बंटवारा होता है। अस्पताल में कार्यरत कर्मियों की मिलीभगत से मरीजों को रेफर किये जाने का भी खेल चल रहा है। इस तस्वीर में देख सकते है कि ममता वाहन किस तरह निजी नर्सिंग होम में गर्भवती महिला को लेकर जा रहे है ।
इन सारे मामलों से अवगत होने के बावजूद सिविल के द्वारा कोई ठोस करवाई नहीं किया जाना एक पहेली बन कर रह गया है ।