मध्याह्न भोजन की राशि को लेकर सचिव पर दबाव, हटाने के लिए रचा गया षड्यंत्र

त्यागपत्र के पीछे षड्यंत्र की बू, शिक्षा विभाग के अधिकारी भी घेरे में

मुखिया के बजाय मुखिया पति चला रहे पंचायत, पंचायत संचालन में खुलेआम दखल

चतरा (संजीत मिश्रा)। कुंभिया स्कूल, भदुआ में मर्ज होने के बाद सचिव (प्रधानाध्यापक) रामाधीन यादव के कारनामों को जानकर हर कोई हैरान है। पिछले छह वर्षों से स्कूल की शैक्षणिक सामग्री पूरी तरह गायब है, लेकिन शिक्षा विभाग अब तक कुम्भकर्णीय नींद में सोया हुआ है। चौंकाने वाली बात यह है कि सहायक शिक्षक रामाधीन यादव ने अपनी पत्नी के नाम पर फर्जी फर्म बनाकर स्कूल विकास मद की राशि में लाखों रुपये की हेराफेरी कर ली, फिर भी विभाग और जनप्रतिनिधि मौन दर्शक बने हुए हैं।

2022 में पंचायत चुनाव के बाद भदुआ स्कूल का पूरा माहौल बदल गया। चुनाव में रंजन साव की पत्नी सुप्रिया कुमारी मुखिया बनीं, जिसके बाद रामाधीन यादव का पकड़ स्कूल पर और भी मजबूत हो गई। देखते ही देखते यह शिक्षण संस्थान राजनीति का अड्डा बन गया। कोरोनाकाल (2020) में मध्याह्न भोजन योजना के तहत भदुआ स्कूल में लगभग ₹2,18,000 की राशि भेजी गई थी। वास्तविक छात्र संख्या की तुलना में यह राशि कहीं अधिक थी। रिकॉर्ड में ₹1,07,000 का वितरण दर्शाया गया, जबकि ₹1,11,000 की राशि शेष रह गई। तत्कालीन विद्यालय सचिव आराधना कुमारी का आरोप है कि इस बचे हुए पैसे की अवैध निकासी के लिए उन पर दबाव बनाया गया।

जब आराधना कुमारी ने इस अनियमितता का विरोध किया और राशि की निकासी में सहयोग से इंकार कर दिया, तो उन्हें हटाने की साजिश रची गई। मुखिया, सहायक शिक्षक रामाधीन यादव और बीपीओ सूरज उरांव के गठजोड़ ने विभाग पर लगातार दबाव बनाया और 2024 में ग्राम पंचायत मदगड़ा की अनुशंसा पर आराधना कुमारी को सचिव पद से हटा दिया गया और रामाधीन यादव को प्राधिकृत प्रधानाध्यापक बना दिया गया। हालांकि, उस समय के जिला शिक्षा अधीक्षक स्व. अभिषेक बड़ाइक ने उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर इस आदेश को रद्द कर दिया और आराधना कुमारी को पुनः प्रधानाध्यापक नियुक्त किया। लेकिन अधिकारियों के तबादले के बाद आराधना कुमारी को लगातार मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया, जिससे थक-हारकर उन्होंने मई 2025 में सचिव पद से इस्तीफा दे दी ।

इस्तीफे के बाद विद्यालय की जिम्मेदारी प्रशन लिंडा को सौंपी गई और ₹2,82,000 की शेष राशि भी उनके हवाले की गई। अब आशंका है कि इस राशि की निकासी और बंदरबांट के लिए योजना तैयार की जा रही है। यह स्पष्ट संकेत देता है कि पूरे षड्यंत्र की जड़ में आर्थिक हित छिपे थे।

सूत्रों के अनुसार, रामाधीन यादव को कान्हाचट्टी प्रखंड में लंबे समय से जमे बीपीओ सूरज उरांव का संरक्षण प्राप्त है। यही कारण है कि अब तक रामाधीन यादव के विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है। वर्ष 2014 से कान्हाचट्टी में तैनात सूरज उरांव का 2018 में हंटरगंज स्थानांतरण हुआ था, लेकिन दिसंबर 2021 में फिर से डिप्टेशन कराकर वे कान्हाचट्टी लौट आए। सवाल यह उठता है कि आखिर क्या कारण है कि उन्हें बार-बार इसी प्रखंड में तैनात रखा जा रहा है?

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