चतरा । जिले के कई विभागों में कुछ ऐसे कर्मचारी हैं, जो विभाग को दीमक की तरह खोखला करने में माहिर हैं। इनका विभाग से ऐसा लगाव हो जाता है, मानो भौंरे फूलों से चिपके हों। ऐसा ही एक मामला जिला शिक्षा विभाग से सामने आया है, जहां एक रिटायर्ड लिपिक अब भी कार्यालय में कार्य कर रहे हैं और उनके निर्देश पर ही फाइलों में लेखन कार्य किया जाता है।
रिटायरमेंट के बावजूद जारी है काम
चतरा जिला शिक्षा विभाग में एक लिपिक, सेवानिवृत्ति के बावजूद, अब भी उसी पद पर काम कर रहे हैं। खास बात यह है कि वे उन कुर्सियों पर बैठे हैं, जो मोटी कमाई का जरिया मानी जाती हैं। सवाल यह उठता है कि जो व्यक्ति बिना वेतन के छह से आठ घंटे काम कर रहा हो, वह आखिर किस उद्देश्य से यह सेवा दे रहा है? आशंका जताई जा रही है कि वे न केवल अपनी जेब भर रहे हैं, बल्कि अधिकारियों को भी खुश रख रहे हैं।
न कोई संविदा, न कोई आधिकारिक नियुक्ति….
जब इस विषय पर जिला शिक्षा पदाधिकारी से सवाल किया गया, तो उन्होंने स्टाफ की कमी और अनुभव की आवश्यकता का हवाला दिया। हालांकि, जांच में यह सामने आया है कि रिटायरमेंट के बाद इस कर्मचारी को संविदा पर भी नियुक्त नहीं किया गया है। वे केवल अधिकारियों की मेहरबानी पर कार्यरत हैं।
कैसे हो रही है विभागीय अनदेखी??
रिटायर्ड लिपिक को न केवल कार्यालय का कार्य सौंपे गए हैं, बल्कि वे विभाग की ओर से शिक्षकों और आम जनता से भी सीधे संवाद कर रहे हैं। इस मामले की पुष्टि के लिए संबंधित कर्मचारी का फोटो और वीडियो भी रिकॉर्ड किया गया है। सबसे बड़ी हैरानी की बात यह है कि बिना किसी आधिकारिक अनुबंध या वेतन के कोई व्यक्ति छह से आठ घंटे तक विभाग में कैसे काम कर सकता है?
इस पूरे प्रकरण को लेकर विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। यह स्पष्ट रूप से सरकारी नियमों का उल्लंघन है। ऐसे में जरूरी है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच कर उचित कार्रवाई की जाए।