चतरा: गरीबों के हक पर डाका डालने वालों के खिलाफ अब तक कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं??

दोषियों को सजा दिलाना अब सरकार और प्रशासन के लिए अग्निपरीक्षा ।।

चतरा (संजीत मिश्रा)। प्रतापपुर प्रखंड में राज्य खाद्य निगम के गोदाम में हुए बड़े खाद्यान्न घोटाले ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला करीब ढाई साल पहले शुरू हुआ था, जब गोदाम में साढ़े तीन हजार से चार हजार क्विंटल चावल के शॉर्टेज का खुलासा हुआ। हालांकि, इस गबन की सटीक जानकारी गोदाम के भौतिक सत्यापन के बाद सामने आई।

जिला आपूर्ति पदाधिकारी मनींद्र भगत की उपस्थिति में गठित जांच टीम—जिसमें प्रतापपुर के अंचल अधिकारी, थाना प्रभारी और बीडीओ शामिल थे—ने इस घोटाले की पुष्टि की। जांच में प्रतापपुर के एजीएम मनीष कुजूर समेत अन्य अधिकारियों द्वारा 3,799 क्विंटल चावल के गबन का मामला उजागर हुआ। इस पर 3 नवंबर 2023 को प्रतापपुर थाना में प्राथमिकी (143/2023) दर्ज की गई।

कार्रवाई की धीमी रफ्तार….

मामला उजागर होने और प्राथमिकी दर्ज होने के बावजूद अब तक दोषियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। यह प्रशासनिक सुस्ती और लापरवाही का प्रतीक है। जांच के दौरान जिला आपूर्ति पदाधिकारी मनींद्र भगत ने कहा था कि “जांच पूरी होने और दोषियों की पहचान के बाद सख्त कार्रवाई की जाएगी।” लेकिन कार्रवाई के नाम पर अब तक केवल आश्वासन ही दिए गए हैं, और मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।

प्रमुख सवाल तथा चिंताएं…..

  1. प्रशासनिक लापरवाही: दोषियों पर अब तक कार्रवाई न होना प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल खड़े करता है।
  2. न्याय में देरी: गरीबों को न्याय दिलाने में हो रही देरी भ्रष्टाचार को और बढ़ावा देती है।
  3. जनता का विश्वास: ऐसी घटनाओं से सरकारी तंत्र और न्यायिक प्रक्रिया पर जनता का भरोसा कमजोर हो रहा है।
  4. सख्त कानून की आवश्यकता: ऐसे घोटालों को रोकने के लिए कड़े कानूनों का निर्माण और उनके क्रियान्वयन पर कड़ी निगरानी आवश्यक है।

सरकार और प्रशासन पर सवाल……

सूत्रों के अनुसार, इस मामले में सरकार को पत्र लिखा गया है, लेकिन अब तक सरकार की ओर से कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई। यह सवाल खड़ा करता है कि गरीबों के हक का हनन करने वाले दोषियों पर कार्रवाई की गंभीरता क्यों नहीं दिखाई जा रही।

क्या आगे कदम उठाए जाएंगे?….

यह मामला न केवल प्रशासनिक विफलता को उजागर करता है, बल्कि गरीबों के प्रति समाज की जिम्मेदारी पर भी प्रश्नचिन्ह लगाता है। क्या सरकार और प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर ठोस कदम उठाएंगे, या यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह समय के साथ भुला दिया जाएगा? जवाबदेही सुनिश्चित करना और दोषियों को सजा दिलाना अब सरकार और प्रशासन के लिए अग्निपरीक्षा है।

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