झारखंड में हाथियों का आतंक: फसल बर्बादी का बड़ा मुद्दा

चतरा । झारखंड के जंगल क्षेत्रों में हाथियों का आतंक बढ़ता जा रहा है। सिमरिया प्रखंड के केवटा गांव में मंगलवार रात हाथियों के झुंड ने भारी उत्पात मचाया, जिससे किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं। हाथियों ने गेहूं, चना, सरसों, मटर, टमाटर और राई की खड़ी फसलों को तहस-नहस कर दिया। प्रभावित किसानों में रामदेव साव, बंधु साव, राजेश साहू, पिंटू साहू, अशोक कुमार, सुबोध कुमार, प्रकाश कुमार, जबर साव, खगेश्वर साव, दामोदर कुमार और भुवनेश्वर साव शामिल हैं। सभी पीड़ित किसानों ने वन विभाग में क्षतिपूर्ति की मांग के लिए आवेदन दिया है।

झारखंड के वन क्षेत्रों में लगभग 700 से 750 जंगली हाथी हैं। इनका मुख्य निवास पलामू, चतरा, हजारीबाग, लोहरदगा, और गुमला जैसे जिलों के जंगल हैं। इंसानी बस्तियों के पास जंगलों के घटते दायरे और भोजन की कमी के कारण हाथी अक्सर गांवों और खेतों की ओर रुख करते हैं।

हर साल झारखंड में हाथियों के हमलों से हजारों एकड़ फसलें बर्बाद होती हैं। राज्य सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए कुछ योजनाएं लागू की हैं, जिनमें वन विभाग द्वारा क्षतिपूर्ति प्रदान करना और फसलों की सुरक्षा के लिए बैरियर निर्माण जैसे उपाय शामिल हैं। ग्रामीणों और किसानों ने प्रशासन से अपील की है कि इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाए, ताकि फसल बर्बादी और जान-माल के नुकसान को रोका जा सके।

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