सरकार की सख्ती का नाजायज फायदा उठा रहे हैं चतरा जिले में प्रखंड टास्क फोर्स कमिटी के अधिकारी ।।

एक युवक को अवैध बालू लदा ट्रैक्टर पकड़कर अंचलाधिकारी के आवासीय कैंपस में ले जाना पड़ा भारी , युवक पर प्राथमिकी दर्ज ।।

स्थानीय प्रशासन की शिथिलता और मनमानी हुआ उजागर , जिला प्रशासन ने मजबूरन एक सप्ताह के भीतर मयूरहैण्ड प्रखण्ड में की दूसरी बड़ी कार्रवाई।।

जिला प्रशासन एक्शन मोड में , स्थानीय प्रशासन की शिथिलता व मनमानी पर कड़ी निगरानी , दोषी अधिकारी को चिन्हित कर करवाई की तैयारी : सूत्र ।।

चतरा ( संजीत मिश्रा ) । जिले के प्रतापपुर प्रखंड क्षेत्र में अवैध बालू खनन का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। खनन माफिया खुलेआम बालू खनन कर ट्रैक्टरों के जरिए ढुलाई कर रहे हैं। इसका खुलासा तब हुआ जब प्रतापपुर प्रखण्ड क्षेत्र निवासी उदय यादव नामक एक युवक ने 16 जनवरी को अवैध बालू लदा ट्रैक्टर पकड़ा और इसे लेकर प्रतापपुर अंचल अधिकारी के आवासीय कैंपस पहुंचा। लेकिन अंचल अधिकारी से संपर्क करने की कई कोशिशों के बावजूद उन्होंने फोन नहीं उठाया। युवक उदय यादव ने आरोप लगाया कि अंचल अधिकारी की खनन माफियाओं और ट्रैक्टर मालिकों के साथ सांठगांठ है। उन्होंने दावा किया कि अधिकारी अवैध बालू लदे वाहनों पर कार्रवाई नहीं करते हैं और शिकायतों को नजरअंदाज करते हैं। उदय ने यह भी कहा कि फोन पर कई बार कॉल करने के बावजूद अधिकारी ने कोई जवाब नहीं दिया। हालांकि इस मामले में कैंपस में पकड़कर लाए गए ट्रैक्टर को तो जप्त कर लिया गया पर उस युवक को गम्भीर परिणाम भुगतना पड़ गया । ट्रैक्टर पकड़ने वाले युवक उदय यादव पर अंचलाधिकारी ने प्रतापपुर थाना में आवेदन देकर अभद्र व्यवहार करने का प्राथमिकी दर्ज कराया है । अब ऐसे में सवाल उठता है कि जो कार्य स्थानीय टास्क फोर्स कमिटी को करनी चाहिए वह उस युवक को क्यूँ करना पड़ा ?? मामला जो भी हो निष्पक्षता से जांच कर दोषियों पर करवाई की जानी चाहिए । इस सन्दर्भ में अंचलाधिकारी का पक्ष जानने के लिए कॉल किया पर उन्होंने कॉल नहीं उठाया ।

अवैध खनन पर सरकार की सख्ती के बावजूद जारी गड़बड़ी…..

राज्य सरकार ने अवैध बालू खनन और परिवहन पर रोक लगाने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। इसके बावजूद प्रतापपुर प्रखंड क्षेत्र में दिन और रात दोनों समय अवैध खनन जारी है। स्थानीय निवासियों के अनुसार, खनन माफिया सरकारी आदेशों की खुलेआम धज्जियां उड़ाते हुए बालू का उठाव कर रहे हैं।

स्थानीय प्रशासन की उदासीनता और टास्क फोर्स की शिथिलता का उजागर तब हुआ जब जिला प्रशासन के द्वारा एक सप्ताह के भीतर दूसरी बार बड़ी कार्रवाई करते हुए लाखों सीएफटी अवैध बालू भंडारण जप्त किया गया । यह स्थिति स्थानीय प्रशासन की विफलता और भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है।

सरकार की सख्ती का नाजायज फायदा….

सरकार ने अवैध खनन पर रोक लगाकर प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। लेकिन इन नियमों का लाभ कुछ भ्रष्ट अधिकारी और खनन माफिया उठा रहे हैं। आरोप है कि कुछ प्रखण्डों में स्थानीय टास्क फोर्स के कई अधिकारी खनन माफियाओं से सांठगांठ कर सरकारी सख्ती का फायदा उठा रहे हैं।

समस्या का समाधान

  1. कठोर निगरानी: अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए नियमित छापेमारी और निगरानी टीमों को सक्रिय किया जाए।
  2. प्रशासनिक जवाबदेही: अंचल अधिकारियों और टास्क फोर्स के सदस्यों की जवाबदेही तय होनी चाहिए।
  3. जनता की भागीदारी: आम नागरिकों को अवैध खनन की सूचना देने के लिए सुरक्षित और गुप्त प्लेटफॉर्म प्रदान किया जाए।
  4. संवेदनशीलता: खनन क्षेत्रों में प्रशासनिक अधिकारियों की जिम्मेदारी और पारदर्शिता सुनिश्चित हो।

सरकार की सख्ती का नाजायज फायदा उठाने वाले अधिकारी और खनन माफिया राज्य के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहे हैं। यह समस्या केवल प्रशासनिक लापरवाही ही नहीं, बल्कि जनता के साथ धोखा भी है। सरकार व जिला प्रशासन को इसे गंभीरता से लेते हुए दोषियों पर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि अवैध खनन पर पूरी तरह से रोक लगाई जा सके।

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