पिछले अंक में राष्ट्रीय शान में छपी खबर की सच्चाई—उपायुक्त की सख्ती के बावजूद इंजीनियरों की मनमानी जारी ।।
चतरा में लूट का सिलसिला, किसके संरक्षण में मची है ये तबाही?
संजीत मिश्रा/नवीन पाण्डेय
चतरा। चतरा नगर परिषद क्षेत्र में भ्रष्टाचार ने अपनी जड़ें इतनी गहरी कर ली हैं कि यहां के अधिकारियों और इंजीनियरों को किसी वरीय अधिकारी या प्रशासन का कोई भय नहीं है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण नगर परिषद कार्यालय से सटे कालीकरण पथ निर्माण में हुए भ्रष्टाचार से उजागर होता है। हाल ही में किशुनपुर मेन रोड पर पूर्णिमा स्टील से चिहुंटियाँ तक का कालीकरण पथ निर्माण किया गया जिसमें अलकतरा का उपयोग कम किए जाने के कारण हाथ से ही पीच उखड़ रहा है । महज एक सप्ताह के भीतर दो सड़को का किये गए कालीकरण का पीच उखड़ने लगी है । जिससे गुणवत्ता पर सवाल खड़ा होना लाजमी है ।
चतरा नगर परिषद क्षेत्र में विकास योजनाओं में हो रहे भ्रष्टाचार से यह स्पष्ट है कि जब जिला प्रशासन के नाक तले यह हाल है, तो ग्रामीण इलाकों की हालत और भी खराब हो सकती है।
उपायुक्त के प्रयास नाकाम…..
जिले के उपायुक्त रमेश घोलप जिले में गुणवत्ता युक्त विकास कार्य सुनिश्चित कराने को लेकर काफी गंभीर प्रयास कर रहे हैं। बावजूद उनके निर्देशों को नजरअंदाज कर अधिकारी और इंजीनियर सरकारी योजनाओं को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर किसके संरक्षण में यह लूट मची हुई है, और इसे रोकने वाला कोई क्यों नहीं है?
जनता की उम्मीदें सांसद और विधायक पर…..
चतरा नगर परिषद में व्याप्त भ्रष्टाचार और अधिकारियों की चुप्पी ने लोगों की उम्मीदें अब स्थानीय सांसद और विधायक पर टिका दी हैं। अब देखना यह है कि क्या नगर परिषद के अधिकारियों और इंजीनियरों पर कार्रवाई होगी? क्या भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी सड़कों और अन्य विकास योजनाओं का पुनर्निर्माण गुणवत्ता के साथ किया जाएगा, या फिर यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा?