● जिले के वरिष्ठ अधिकारियों का हर दिन इसी रास्ते से आना-जाना, फिर भी गुणवत्ता से खिलवाड़।।
● नगर परिषद की विकास योजनाओं में भारी अनियमितता, अधिकारी मौन ।।
● जनप्रतिनिधियों के उदासीनता का दंश झेल रहा है चतरा , क्षेत्र में आधारभूत संरचना, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं जैसी कमी आम मुद्दे ।।
चतरा ( संजीत मिश्रा ) । चतरा नगर को स्वच्छ, सुंदर और विकासशील बनाने के उद्देश्य से हाल के दिनों में करोड़ों रुपये की विकास योजनाएं शुरू की गई हैं। इन योजनाओं में पक्की नाली, पीसीसी सड़क, राजा तालाब सुंदरीकरण सहित कई अन्य महत्वाकांक्षी कार्य शामिल हैं। हालांकि, टेंडर प्रक्रिया के बाद शुरू हुए इन कार्यों की गुणवत्ता को लेकर लगातार शिकायतें सामने आ रही हैं।
गुणवत्ता विहीन निर्माण कार्य, सूचना बोर्ड का अभाव…
योजनाओं के कार्यस्थलों पर नियमों के अनुसार सूचना बोर्ड तक नहीं लगाए गए हैं। इससे जनता को यह पता नहीं चल पाता कि निर्माण कार्य में कितनी प्राक्कलित राशि खर्च हो रही है या कार्य कहां से कहां तक होना है। संवेदक नियमों को ताक पर रखकर निर्माण कार्य पूरा कर रहे हैं, जिससे स्थानीय निवासियों में आक्रोश है।
अव्वल मुहल्ला से नगर परिषद कार्यालय तक सड़क निर्माण में घोटाला……
इसी कड़ी में चतरा के अव्वल मुहल्ला से आरबी हॉस्पिटल होते हुए नगर परिषद कार्यालय तक पतली परत वाली पीच सड़क का निर्माण कार्य हाल ही में किया गया है। सड़क की गुणवत्ता इतनी खराब है कि निर्माण के महज एक सप्ताह के भीतर स्थानीय निवासियों ने हाथ से पीच उखाड़कर नगर परिषद और संवेदक की मिलीभगत की पोल खोल दी। वही राजा तालाब सुंदरीकरण के नाम पर भारी अनियमिता बरती गई है और तालाब के आस पास जैसे तैसे काम किया गया है ।
अधिकारियों और इंजीनियरों की मौन स्वीकृति….
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि यह सड़क उसी विभाग द्वारा बनाई गई, जिसके कार्यालय के गेट तक यह निर्माण हुआ। विभागीय इंजीनियर की मौजूदगी में यह घटिया निर्माण कार्य किया गया। इस निर्माण कार्य से आप समझ सकते है कि विभाग और संवेदक के बीच किस तरह का गठजोड़ है । इस सड़क से एसडीएम कार्यालय, निबंधन कार्यालय, उत्पाद विभाग, जिला शिक्षा कार्यालय, ट्रेजरी, और जिले के कई वरिष्ठ अधिकारियों के आवास का रास्ता गुजरता है। इसके बावजूद पतली परत की पीच डालकर मानकविहीन सड़क बना दी गई।
शिड्यूल रेट पर टेंडर, फिर भी गुणवत्ता पर सवाल…….
नगर परिषद में बोर्ड का कार्यकाल समाप्त होने के बाद एक विशेष सिडिकेट ने योजनाओं को बंदरबांट का जरिया बना लिया है। सूत्रों के मुताबिक, सभी संवेदक शिड्यूल रेट पर टेंडर हथिया रहे हैं। सवाल यह उठता है कि जब योजनाएं शिड्यूल रेट पर आवंटित की गई हैं, तो गुणवत्ता से समझौता क्यों हो रहा है?
स्थानीय निवासियों का विरोध, पर कोई सुनवाई नहीं….
स्थानीय निवासियों ने घटिया निर्माण का विरोध किया, लेकिन उनकी आवाज को अनसुना कर दिया गया। नगर परिषद की इस लापरवाही और भ्रष्टाचार ने विकास योजनाओं की सच्चाई को उजागर कर दिया है।
सड़क निर्माण कार्य पर अभियंता का बयान और गुणवत्ता की पोल…..
सड़क निर्माण के दौरान मौके पर मौजूद कनीय अभियंता राकेश कुमार ने दूरभाष के माध्यम से बताया कि निर्माण कार्य मानक के अनुसार करवाया गया है। उनके अनुसार, सड़क की लंबाई और चौड़ाई के मापदंडों का पालन कराया गया , कनीय अभियंता ने कहा कि अलकतरा का मटेरियल प्लांट से बनकर आया था ओर गुणवत्ता जांच के लिए मेरे पास मशीन उपलब्ध नहीं थी, जिसके कारण मटेरियल की गुणवत्ता की जांच नहीं की जा सकी।
कनीय अभियंता का यह बयान न केवल विभाग की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि यह भी साफ दर्शाता है कि सड़क निर्माण कार्य में गुणवत्ता की जांच सुनिश्चित करने की व्यवस्था नहीं थी। बिना गुणवत्ता जांच के कार्य पूरा करना, विभाग और संवेदक की मिलीभगत को साफ इंगित करता है। इसके कारण ही सड़क निर्माण के एक सप्ताह के भीतर पीच उखड़ने की समस्या सामने आई।
सरकार और संबंधित विभागों को इस प्रकार की अनियमितताओं पर सख्त कदम उठाने चाहिए और निर्माण कार्यों की नियमित जांच के लिए उचित संसाधन और व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए। गुणवत्ता पर समझौता विकास योजनाओं के उद्देश्य को विफल करता है और जनता का विश्वास खोने का कारण बनता है। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या वरीय अधिकारी इन मामलों में संज्ञान लेते हुए राजा तालाब सुंदरीकरण और पीच सड़क निर्माण कार्य में घोर अनियमिता बरतने वाले संवेदक तथा सम्बंधित अधिकारी व इंजीनियर के विरुद्ध क्या करवाई किया जाता है ।