नारी सशक्तिकरण की मिसाल – रीमा मिश्रा

रांची । जब कोई महिला रिवायतों को तोड़कर आगे बढ़ती है, तो वह नई राहें बनाती है और दूसरों के लिए प्रेरणा बन जाती है। ऐसी ही एक मिसाल हैं चाणक्य आईएएस एकेडमी की जनरल मैनेजर रीमा मिश्रा।

पलामू के एक छोटे कस्बे से अपने सफर की शुरुआत करने वाली रीमा मिश्रा आज अहमदाबाद, जयपुर, दिल्ली सहित पूरे देश में नारी सशक्तिकरण का प्रतीक बन चुकी हैं। चाणक्य आईएएस एकेडमी, जिसकी दिल्ली सहित 25 शाखाएँ हैं, उसमें उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

महिलाओं के लिए प्रेरणा

रीमा मिश्रा की प्रेरणा से न सिर्फ लड़कियाँ शिक्षा के प्रति जागरूक हुई हैं, बल्कि महिलाएँ सामूहिक रूप से संगठित होकर अपने अधिकारों के लिए आवाज़ बुलंद कर रही हैं। उन्होंने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने, खुद के फैसले लेने, अपने अधिकारों को समझने और अपनी आवाज़ उठाने की सीख दी है।

उनके मार्गदर्शन में चाणक्य आईएएस एकेडमी की हजारों छात्राओं ने सिविल सेवा परीक्षाओं में सफलता हासिल की। आज, उनकी छात्राएँ आईएएस, आईपीएस, और स्टेट पीसीएस अधिकारी बनकर देश की सेवा कर रही हैं।

रीमा मिश्रा का संदेश

छात्राओं को प्रेरित करते हुए वह कहती हैं “आप सिर्फ एक परीक्षा नहीं दे रही हैं, बल्कि अपने सपनों को जी रही हैं। आप उन अनगिनत महिलाओं के लिए उम्मीद की किरण हैं, जो अपनी पहचान बनाने का साहस जुटा रही हैं। सिविल सेवा की तैयारी धैर्य, परिश्रम, आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति की परीक्षा है।”आप केवल एक अधिकारी नहीं बनेंगी, बल्कि समाज में बदलाव की ताकत बनकर उभरेंगी।”

2016 में, तत्कालीन राज्यपाल और वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों उन्हें “बेस्ट अकादमी मैनेजमेंट अवार्ड” से सम्मानित किया गया। उस समय राष्ट्रपति ने कहा था, “झारखंड और इसकी बेटियों को आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी आप पर भी है। तब से, रीमा मिश्रा लगातार महिला उत्थान और सिविल सेवा की तैयारी कर रही छात्राओं के मार्गदर्शन में जुटी हैं। रीमा मिश्रा जैसी महिलाएँ समाज में बदलाव की वाहक बनती हैं। वे महिला सशक्तिकरण की दिशा में काम करते हुए अनगिनत महिलाओं को आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रही हैं। उनका सफर यह साबित करता है कि महिलाएँ अब अबला नहीं, बल्कि सबला हैं ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *