गैरकानूनी ईंट भट्टों से बढ़ता प्रदूषण, स्थानीय प्रशासन की भूमिका संदिग्ध ।।

क्या ईंट भट्ठा मालिकों को बीडीओ सह प्रभारी सीओ का संरक्षण प्राप्त है??

चतरा (संजीत मिश्रा ): मयूरहंड प्रखंड में अवैध ईंट भट्टों की बढ़ती संख्या और उनके कारण हो रहे प्रदूषण ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रशासन की निष्क्रियता और कथित मिलीभगत को लेकर चर्चाएं तेज हैं। बीडीओ सह प्रभारी सीओ मनीष कुमार पहले ही बालू माफियाओं को संरक्षण देने के आरोपों में घिर चुके हैं, और अब सवाल उठ रहा है कि क्या अवैध चिमनी ईंट भट्ठों को भी उनका संरक्षण मिला हुआ है?

राज्य सरकार एक ओर वायु प्रदूषण और मिट्टी संरक्षण को लेकर सख्त कानून लागू कर रही है, लेकिन दूसरी ओर, चतरा जिले में खुलेआम अवैध चिमनी और बंगला ईंट भट्टे संचालित हो रहे हैं। इन भट्टों में कोयले का अवैध उपयोग हो रहा है, जिससे प्रदूषण का स्तर और बढ़ गया है। पहले से ही पत्थर और कोयला खदानों के प्रदूषण से चतरा जिला जूझ रहा है ।

मयूरहंड प्रखंड में कई अवैध ईंट भट्टे बेखौफ चल रहे हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा। बीडीओ सह प्रभारी सीओ की कार्यशैली पर लगातार सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि अवैध कारोबार फल-फूल रहा है और अधिकारियों के आदेशों की खुलेआम अनदेखी हो रही है।

राष्ट्रीय शान की रिपोर्ट से खुलासा……

स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत का पर्दाफाश तब हुआ जब राष्ट्रीय शान की एक रिपोर्ट में अवैध कारोबार के सबूत सामने आए। इसके बाद जिला प्रशासन को मजबूरन कार्रवाई करनी पड़ी और लाखों सीएफटी अवैध बालू जब्त किया गया। यह साबित करता है कि अवैध गतिविधियों को रोकने में प्रशासन की निष्क्रियता ही उनकी बढ़ती ताकत की असली वजह है।

चिमनी ईंट भट्ठे में मजदूर उत्पीड़न पर लीपापोती…..

एक महीने पहले मयूरहंड प्रखंड में चिमनी ईंट भट्ठे के एक संचालक पर मजदूर उत्पीड़न का मामला सामने आया था। प्रशासन ने मजदूरों को तो मुक्त करवाया, लेकिन दोषियों के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया। अब मामले में लीपापोती क्यूँ किया गया यह भी एक पहेली बन कर रह गया जो प्रशासन की निष्क्रियता और मिलीभगत की ओर इशारा करता है।

जिले के एक अंचल अधिकारी ने सभी चिमनी भट्ठा संचालकों को पत्र जारी कर दस्तावेज प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। इसमें ईंट भट्ठे में उपयोग हो रहे कोयले के परमिट, मिट्टी उत्खनन के कागजात, संचालन के प्रमाण-पत्र और भूमि स्वामित्व संबंधी दस्तावेज 24 घंटे के भीतर जमा करने को कहा गया है। अनुपालन न करने पर Bricks Kilns Regulation Act-2010 और Pollution Control Act के तहत सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। अब देखना दिलचस्प होगा कि अंचल अधिकारी द्वारा करवाई किया जाता है या फिर निर्गत पत्र ठण्डे बस्ते में चला जाता है ।

जिला प्रशासन को दिखानी होगी सख्ती….

अगर अवैध ईंट भट्टों पर रोक लगानी है यो जिस तरह बालू माफियाओं पर जिला प्रशासन ने कड़े कदम उठाते हुए लाखो सीएफटी बालू जप्ती करते हुए दोषी स्थानीय अधिकारियों के विरुद्ध अग्रतर की प्रक्रिया जारी है । जब तक दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई नहीं होगी, तब तक अवैध कारोबार फलता-फूलता रहेगा।

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